किसान की मौत पर कांग्रेसियों ने निकाला कैंडल मार्च, भाजपा के मौन व्रत को बताया दिखावा

Gaurav Sharma
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डबरा/सलिल श्रीवास्तव। मंधाता विधानसभा (Mandhata assembly) में भाजपा (bjp) की चुनावी सभा (Election meeting) के बीच किसान की मृत्यु (death of farmer) होना और सभा का लगातार संचालन चलते रहने की घटना के विरोध में आज कांग्रेस पार्टी (congress party) के बैनर तले कैंडल मार्च निकाला गया, जिसमें पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो (Former minister Vijayalakshmi Sadho) शामिल हुई। यह कैंडल मार्च (candle march) माधवराव सिंधिया चौराहे से अग्रसेन चौक तक निकाला गया, जहां 2 मिनट का मौन रखकर दिवगंत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। इस कैंडल मार्च में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे भी शामिल हुए ।

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इस अवसर पर डबरा विधानसभा प्रभारी (Dabra Assembly In-charge) एवं पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधो ने कहा कि मंधाता में जो हुआ वह भाजपा नेताओं (leaders of bjp) की अमानवीयता (Inhumanity) को दर्शाता है, जो लोग किसान (farmers) के लिए मंच से नहीं उतर सके वह उनके लिए क्या सड़कों पर उतरेंगे। इस अवसर पर कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने कमलनाथ (kamalnath) द्वारा इमरती देवी (Imarti devi) को आइटम(Item) कहने के सवाल को सिरे से नकारते हुए साफ शब्दों में कहा कि मैं मंच पर था कमलनाथ जी ने किसी का नाम नहीं लिया।

भाजपा (bjp) आज मौन रख रही है मोन ही रखना था तो उस किसान के लिए रखते जो उन की सभा में स्वर्गवासी हो गया वह मौन उन किसानों (Farmers) के लिए रखें जिनकी धान की कीमत आज भी आधी है। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष रंगनाथ तिवारी,कार्यकारी जिलाध्यक्ष सुल्तान सिंह रावत,ब्लॉक अध्यक्ष जयप्रकाश शर्मा,ग्रामीण ब्लॉक अध्यक्ष राकेश रावत,ग्रामीण जिला प्रवक्ता दिव्यांक द्विवेदी,एनएसयूआई जिला अध्यक्ष जीतू राजोरिया सहित अनेक कांग्रेसी कार्यकर्ता मौजूद थे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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