संविधान दिवस पर पीएम ने कहा नागरिक काआत्मसम्मान,आत्मविश्वास बढ़े,ये संविधान की भी अपेक्षा 

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।  संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भाजपा के पीठासीन अधिकारियों को गुजरात के केवड़िया से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने संविधान और कानून को लेकर अपने विचार रखे।  उन्होंने इस पर पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए  26 /11 मुंबई हमले में मारे गए लोगों तथा सुरक्षाकर्मियों को याद किया। पीएम मोदी ने कहा, आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर संविधान सभा के सभी व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से देश को संविधान मिला है। आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है। पीएम मोदी ने कहा कि हर नागरिक का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।

मुंबई हमले में मारे गए लोगों को किया याद 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, आज की तारीख, देश पर सबसे बड़े आतंकी हमले 26 /11 के साथ जुड़ी हुई है। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने मुंबई पर धावा बोल दिया था। इस हमले में अनेक लोगों की मृत्यु हुई थी। कई देशों के लोग मारे गए थे। मैं मुंबई हमले में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने कहा कि आज हम मुंबई हमले जैसी साजिशों को नाकाम कर रहे, आतंक को एक छोटे से क्षेत्र में समेट देने वाले, भारत की रक्षा में प्रतिपल जुटे हमारे सुरक्षाबलों का भी वंदन करता हूं।

राष्ट्रहित ही होना चाहिए सर्वोपरि 

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे निर्णय का आधार एक ही मानदंड होना चाहिए और वो है राष्ट्रहित। राष्ट्रहित ही हमारा तराजू होना चाहिए। हमें ये याद रखना है कि जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।

कोरोना महामारी को लेकर कही ये बात 

पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस वैश्विक महामारी के दौरान भारत की 130 करोड़ से ज्यादा जनता ने जिस परिपक्वता का परिचय दिया है, उसकी एक बड़ी वजह, सभी भारतीयों का संविधान के तीनों अंगों पर पूर्ण विश्वास है। इस विश्वास को बढ़ाने के लिए निरंतर काम भी हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के समय में हमारी चुनाव प्रणाली की मजबूती दुनिया ने देखी है। इतने बड़े स्तर पर चुनाव होना, समय पर परिणाम आना, सुचारु रूप से नई सरकार का बनना, ये इतना भी आसान नहीं है। हमें हमारे संविधान से जो ताकत मिली है, वो ऐसे हर मुश्किल कार्यों को आसान बनाती है।

याद दिलाई लोकतंत्र की ताकत 

पीएम मोदी ने पीठासीन अधिकारियों  से कहा कि अध्यक्ष के रूप में हमारे लोकतंत्र में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है।आप सभी कानूनविद के रूप में लोगों और राष्ट्र के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं।आप कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच समन्वय को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।  पीएम ने कहा कि संविधान के  तीनों अंगों की भूमिका से लेकर मर्यादा तक सबकुछ संविधान में वर्णित है।

सरल हो कानून की भाषा 

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि नागरिक का आत्मसम्मन और आत्मविश्वास बढ़े, ये संविधान की भी अपेक्षा है और हमारा भी ये निरंतर प्रयास है। ये तभी संभव है जब हम सभी अपने कर्तव्यों को, अपने अधिकारों का स्रोत मानेंगे, अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे हमारे यहां बड़ी समस्या ये भी रही है कि संवैधानिक और कानूनी भाषा, उस व्यक्ति समझने में मुश्किल होती है जिसके लिए वो कानून बना है। मुश्किल शब्द, लंबी-लंबी लाइनें, बड़े-बड़े पैराग्राफ, क्लॉज-सब क्लॉज, यानि जाने-अनजाने एक मुश्किल जाल बन जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे कानूनों की भाषा इतनी आसान होनी चाहिए कि सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी उसको समझ सके। हम भारत के लोगों ने ये संविधान खुद को दिया है। इसलिए इसके तहत लिए गए हर फैसले, हर कानून से सामान्य नागरिक सीधा कनेक्ट महसूस करे, ये सुनिश्चित करना होगा। समय के साथ जो कानून अपना महत्व खो चुके हैं, उनको हटाने की प्रक्रिया भी आसान होनी चाहिए। बीते सालों में ऐसे सैकड़ों कानून हटाए जा चुके हैं।

संविधान दिवस की शुभकामनायें दी 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज देशवासियों को संविधान दिवस की शुभकामनायें देता।  हूँ मैं संविधान बनाने में शामिल सभी सम्मानित व्यक्तियों को नमन करता हूँ उन्होंने कहा कि आज डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद और बाबा साहेब अंबेडकर से लेकर संविधान सभा के सभी व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिनके अथक प्रयासों से देश को संविधान मिला है। आज का दिन पूज्य बापू की प्रेरणा को, सरदार पटेल की प्रतिबद्धता को प्रणाम करने का दिन है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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