कोरोना पेशेंट लापता, फोन कर बताया हॉस्पिटल में हूँ, अस्पताल ने कहा इस नाम का कोई मरीज नहीं

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना संकट काल (Corona Crisis) में ग्वालियर (Gwalior) से कोरोना पेशेंट (Corona Patient) के लापता होने की बड़ी खबर सामने आई है। कोरोना पेशेंट (Corona Patient) के लापता होने की खबर से हड़कंप मचा हुआ है। परिजनों के मुताबिक तीन दिन पहले मरीज ये कहकर निकला था कि वो सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती होने जा रहा है, अगले दिन पिता उसकी खैर खबर लेने अस्पताल पहुंचे तो बताया गया कि इस नाम का कोई पेशेंट उनके यहाँ भर्ती नहीं है। पिता यहाँ वहां बेटे को तलाशते रहे, आज सोमवार को जब वे थाने  शिकायत करने जा रहे थे तो उनके नंबर पर अनजान नंबर से फोन आया दूसरी तरफ से बेटा बोल रहा था, उसने कहा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) की पांचवी मंजिल पर हूँ लेकिन अस्पताल में पांचवी मंजिल ही नहीं है अब पिता परेशान हैं  कि बेटा आखिर है कहाँ ?

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के नई सड़क पर रहने वाले एक बैंक अधिकारी का बेटा 16 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव  आया था, जब घर पर कोई नहीं था उसने फोन कर कहा कि सुपर स्पेशलिटी (Super Specialty Hospital) से काल  आया है वो भर्ती करने के लिए बुला रहे हैं मैं वहां जा रहा हूँ।  कोरोना पेशेंट (Corona Patient) के पिता अगले दिन सुनह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital)पहुंचे लेकिन उन्हें वहां बताया गया कि उनके बेटे के नाम का कोई पेशेंट उनके यहाँ भर्ती नहीं है।

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सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) प्रबंधन की बात सुंनने के बाद पिता घबरा गए, उन्होंने जयारोग्य अस्पताल समूह के टीबी वार्ड सहित अन्य सभी उन संभावित अस्पतालों में अपने बेटे को खोजा जहाँ कोरोना पेशेंट (Corona Patient) भर्ती होते हैं लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। पिता की चिंता तब और बढ़ गई जब उनके बेटे का मोबाईल नंबर बंद आने लगा।

17,18 और 19 अप्रैल तक पिता और अन्य परिजन कोरोना पेशेंट (Corona Patient) को तलाशते रहे लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला।  वे कम्पू थाने शिकायत करने गए तो उन्हें कहा गया कि आप जनकगंज थाने जाइये।  वे जब जनकगंज थाने जा रहे थे तभी एक अनजान नंबर से उनके पास काल आया, दूसरी तरफ से बेटा बोल रहा था उसने कहा कि ये वार्ड बॉय का नंबर है और वो JAH के  सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) की पांचवी मंजिल पर भर्ती है , फिर कहने लगा कि उसने 2 हजार रुपये में JAH में प्राइवेट कमरा रखा है वो तीन दिन बाद घर आ जाएगा। खास बात ये है कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में पांचवी मंजिल ही नहीं है और ना ही JAH में कोरोना पेशेंट को अलग से रूम देने की व्यवस्था है।

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कोरोना पेशेंट (Corona Patient) ने दो बार अपनी माँ से बात की, लेकिन जब परिजनों ने उसी नंबर पर कॉल किया तो वो रिसीव ही नहीं हुआ, जब नंबर को सर्च किया गया तो वो किसी विजय पटेल के नाम पर रजिस्टर्ड निकला लेकिन इस नाम का कोई वार्ड बॉय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Super Specialty Hospital) में नहीं है जबकि बेटे ने नंबर वार्ड बॉय का बताया था।  अब परिजन परेशान हैं बेटे के फोन का इन्तजार कर रहे हैं , यदि फोन नहीं आता है तो मंगलवार को पुलिस में शिकायत दर्ज कराएँगे।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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