भोपाल, डेस्क रिपोर्ट
कांग्रेस(congress) के लिए कल का दिन काफी उठापटक वाला रहा है। कल कांग्रेस वर्किंग कमेटी(Congress working committee) की बैठक में हुए हंगामे के बाद एक तरफ जहां चीजें सही लग रही है। वो वैसी बिल्कुल नहीं है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी(Former President Rahul Gandhi) द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाने के बाद वरिष्ठ नेता पार्टी से खफा नजर आ रहे हैं। कपिल सिब्बल(Kapil Sibal) ने तो ट्वीट(Tweet) करके तो वहीं आजाद(Azad) ने बड़ा बयान देकर अपनी नाराजगी जाहिर भी कर दी थी। अब इस मामले में राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तंखा(Rajya Sabha MP and senior Congress leader Vivek Tankha) का किया हुआ ट्वीट चर्चा का विषय बन गया है। तंखा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि हम बागी नहीं हैं, हम बस बदलाव के पक्षधर हैं। तंखा ने कहा है की इतिहास बहादुर को स्वीकार करता है, डरपोक को नहीं। अब राज्यसभा सांसद विवेक तंखा द्वारा किया हुआ यह ट्वीट यह बताने के लिए काफी है कि पार्टी में कल के हुए हंगामे के बाद सब कुछ ठीक नहीं रह गया है।
दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए कहा है कि बदलाव की मांग करना बाकी होना कतई नहीं हो सकता। वही तंखा ने यह भी लिखा है चिट्ठी नेतृत्व को चुनौती देने के लिए नहीं बल्कि पार्टी को मजबूत करने के लिए लिखी गई थी। तंखा ने लिखा है कि बहुत बड़ा सत्य है कि सर्वश्रेष्ठ बचाव जरूरी है। चाहे वह कोर्ट के भीतर हो या सार्वजनिक मामले में। इसके साथ ही उन्होंने कुछ ऐसी बात कह दी जो चर्चा का विषय बन गया है। तंखा ने कहा कि इतिहास बहादुर को स्वीकार करते हैं, डरपोक को नहीं।
पार्टी मीटिंग में भड़के थे राहुल
पिछले दिनों कांग्रेस नेतृत्व को लेकर कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने बदलाव की मांग से सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। जिसमें नेताओं ने नेतृत्व को बदलने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग की थी। जिसके बाद से कांग्रेस में यह मामला बेहद गरमा गया था। वहीं सोमवार को हुए कांग्रेस कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर पत्र लिखे गए नेताओं से यह सवाल करते हुए कहा था कि जब पार्टी राजस्थान(Rajasthan) और मध्यप्रदेश(Madhyapradesh) में विपक्ष(Opposition) से लड़ रही थी। जिस वक्त सोनिया गांधी अस्वस्थ थी। यह पत्र आखिर उस वक्त ही क्यों लिखा गया। वहीँ राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर बीजेपी(BJP) की संलिप्तता भी जाहिर की थी। इसी के साथ राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी संबंधित मुद्दों की चर्चा कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में होना चाहिए, ना की सार्वजनिक रूप से मीडिया(Media) में होनी चाहिए। राहुल गांधी ने बैठक में यह भी कहा कि पार्टी नेतृत्व को लेकर लिखी चिट्टी को जिस तरह से मीडिया में लीक(Leak) किया गया था।
बता दे कि तन्खा पहले ऐसे कांग्रेसी नहीं हैं जिन्होंने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की है इससे पहले राहुल गांधी की ओर से बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाए जाने से आहत आजाद ने कहा था कि यदि वह किसी भी रूप में बीजेपी की मदद कर रहे थे तो इस्तीफा दे देंगे। इसके साथ ही कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा था कि राहुल गांधी कह रहे हैं हम भारतीय जनता पार्टी से मिले हुए हैं। मैंने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का सही पक्ष रखा, मणिपुर में पार्टी को बचाया. पिछले 30 साल में ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो किसी भी मसले पर भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाए।फिर भी कहा जा रहा है कि हम भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं। हालांकि बाद में सिब्बल ने ट्वीट डिलीट कर दी थी।
Friends we are not dissenters but proponents of revival :: the letter was not a challenge to leadership but a parchment of action to strengthen the party :: universally truth is best defence whether it be Court or Public Affairs :: history acknowledges the brave & not the timid.
— Vivek Tankha (@VTankha) August 25, 2020