दिल्ली हिंसा : किसान की मौत पर दिग्विजय सिंह ने किया ये बड़ा दावा 

Atul Saxena
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आगर मालवा, डेस्क रिपोर्ट। दिल्ली में 26 जनवरी को किसान आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर हुई हिंसा के बीच  पुलिस पर पत्थरबाजी हुई , लाठियां मारी गई  और तलवार से हमला किया गया। अपने बचाव में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया लेकिन गोली नहीं चलाई मगर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh)ने ट्रैक्टर पलटने से हुई एक किसान की मौत के मामले में नया खुलासा किया है उन्होंने दावा किया है कि किसान की मौत सिर में गोली लगने के बाद ट्रैक्टर पलटने से हुई है।

मध्यप्रदेश के आगर मालवा में एक कार्यक्रम में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि जिस किसान की मौत ट्रैक्टर पलटने से उसके नीचे दबने से हुई उसे उसे गोली मारी गई थी। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कहा कि मीडिया ने ही कहा था कि किसान के सिर में गोली लगी है। मुझे भी मेरे कार्यकर्त्ता द्वारा यही जानकारी दी गई है।

दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने कहा कि  एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें किसान की मौत ट्रैक्टर पलटने से होना बताया जा रहा है। अब जिस चालक के सिर में गोली लगेगी तो ट्रैक्टर पलटेगा ही, और यदि किसान की मौत गोली लगने से नहीं हुई है तो सरकार शव का पीएम कराकर रिपोर्ट सार्वजानिक करे।

दिग्विजय सिंह(Digvijay Singh) ने केंद्र सरकार पर  गंभीर आरोप लगते हुए कहा कि  उसके कहने पर पुलिस ने एक व्यक्ति को गोली मारी।  उन्होंने कहा कि  जिन किसानों पर पुलिस ने लाठियां चलाई पानी की बौछार की आंसू गैस के गोले छोड़े उन्ही  किसानों ने उन्हें लंगर में खाना खिलाया है। दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने सवाल किया कि  लाल किले पर जिसने हुड़दंग किया पुलिस उन्हें पकड़ती क्यों नहीं , लाल किला हंगामे में  जिस दीप  सिद्धू का नाम आया है वो भाजपा का कार्यकर्ता है पुलिस उसे क्यों नहीं पकड़ रही।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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