मंदसौर, तरुण राठौर। महामारी कोरोना से जहां पूरा विश्व हैरान परेशान है वहीं जिले के अधिकारी एवं ठेकेदार अपनी जेब गरम करने के लिए कोरोना महामारी वरदान साबित हो रही है. जबकि जिले में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के नाम पर सेनेटाईजर मास्क के पीपीटी किट, भोजन वितरण के नाम पर स्वास्थ विभाग एवं जिला प्रशासन के कुछ अधिकारी ठेकेदारो की मिली भगत से सरकार को चुना लगा रहे है.। जबकि दूसरी ओर आम जनता के मन में कोरोना का खोफ भर दिया है. जिले में दिन प्रति-दिन मरीजो की संख्या में इजाफा हो रहा है
वहीं जिले में कोरोना की फर्जी रिर्पोट भी आ रही है. लेकिन जिला प्रशासन के अधिकारी सरकार के दबाव में स्वतंत्र निर्णय लेने में अक्षम साबित हो रहे है.पिछले 6 माह में कोरोना संक्रमण की रोकथाम एवं व्यवस्थाओं के नाम पर स्वास्थय विभाग में करोडो का गोलमाल नजर आ रहा है. प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी व्यवस्थाओं के नाम पर अपने चहेते ठेकेदारो को उपकृृत करने में लगे है.वहीं आम जनता इस कोरोना महामारी से मुक्ति की कल्पना कर रहा है जिले में पिछले छ माह में मरीजो को सुविधाए देने के नाम पर बिना टेन्डर के 500 प्रतिदिन या उससे अधिक भी भोजन पैकेट का वितरण किया जा रहा है जिसका कोई हिसाब नही है.जिले में कोविड 19 मरीजो को भोजन के नाम पर 250 रूपये से अधिक राशि का भुगतान किया जा रहा है.
एक और जहां शहर की विभिन्न भोजनालयों एवं होटलो में शुद्ध व सात्विक भोजन 70 से 150 तक आसानी से उपलब्ध है.वहीं मरीजो को वितरण होने वाला भोजन की लागत 300 से अधिक है यंहा तक कि प्रतिदिन पैकेट की संख्या में इजाफा हो रहा है किन्तु इन सेकडो भोजन के पैकेटो का वितरण कहां किया जा रह है. इस बात से जिला प्रशासन के अधिकारी अनभिज्ञ है.। जबकि कोरोना मरीजो को जो भोजन के पैकेट दिए जा रहे है। उनकी कई बार शिकायत भी हो चुकी है पर प्रशासन के कान तक जु नही रेगी है उसका सिर्फ एक ही कारण है क्योंकि ठेकेदार को अधिकारियों का सरक्षण प्राप्त है। जिसका वह खुल कर फायदा उठा रहे है। इसी वजह से मरीज अपना प्रायवेट सेंटर में इलाज करा रहे है।