दिग्विजय ने विधानसभा स्थगित होने पर उठाये सवाल, गृहमंत्री ने ऐसे दिया जवाब

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासत में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। विपक्षी दल प्रदेश सरकार को घेरने का एक मौका भी नहीं छोड़ता है। वहीं प्रदेश सरकार भी  विपक्षी दल पर तंज कसे बिना कहां मानती हैं। इस सियासी हलचल के बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former CM Digvijaya Singh) और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (State Home Minister Narottam Mishra) के बीच ट्विटर वॉर (Twitter War) शुरू हो गया।

हाल ही में कोरोनावायरस (Corona Virus) के खतरे को देखते हुए विधानसभा का शीतकालीन सत्र स्थागित किया गया  है, जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि मध्यप्रदेश सरकार व भारत सरकार के लिए कोरोना इतना ख़तरनाक हो चुका है ना तो विधानसभा ना संसद की बैठकें हो सकती हैं। जबकि अनेक प्रांतों में विधानसभा की बैठकें हो रही हैं भारत को छोड़ कर सभी लोकतांत्रिक देशों में संसदीय बैठकें हो रही है। १/३

 

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आगे दंगो पर तंज कसते हुए ट्वीट करते है कि लेकिन भगवान राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा उगाने के लिए जुलूस निकाले जा सकते दंगा भड़काने वाले नारे लगाए जा सकते हैं भाजपा की बैठकें हो सकती हैं , विधान सभा चुनाव हो सकते हैं अमित शाह जी की चुनावी रैलीयॉं सभाएँ हो सकती हैं। फिर विधानसभा व संसद की बैठकें क्यों नहीं हो सकती?

 

पूर्व सीएम ने अपने ट्वीट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) पर भी निशाना साधा है, दिग्विजय ने ट्वीट करते हुए लिखा कि क्योंकि मोदीशाह जी किसानों के आंदोलन, बिगड़ी अर्थव्यवस्था, बड़ती हुई महंगाई व बेरोज़गारी पर चर्चा नहीं कराना चाहते। इन्हें लोकतांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। और जब तक EVM है जनता की नाराज़गी व चुनाव हारने की चिंता भी नहीं है। उनके लिए कोरोना आपदा में अवसर है।

पूर्व मुख्यमंत्री के ट्विटर पर दागे गए सवालों को जवाब देते हुए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने ट्वीट कर लिखा कि मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र #COVID19 संक्रमण के कारण स्थगित करने का फैसला सर्वदलीय बैठक में लिया गया है। इसमें आपकी पार्टी के नेता और अध्यक्ष कमलनाथ जी भी शामिल थे। क्या इस मुद्दे पर उन्होंने आपसे सलाह-मशविरा नहीं किया…?

गृहमंत्री सिर्फ यहां नहीं रूके वो अपने दूसरे ट्वीट में लिखते है कि आप यह बताइए जब चुनाव आयोग ने ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों को साबित करने के लिए खुली चुनौती दी थी तब आप और आपकी पार्टी कहां थी।

 

आगे गृह मंत्री ने लिखा कि संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियाद आरोप लगाकर भ्रम फैलाना आपका प्रिय शगल है। चुनाव में जहां राष्ट्रीय कांग्रेस जीते वहां #EVM अच्छी और जहां हारे वहां खराब। मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में  मध्य प्रदेश कांग्रेस  की बुरी हार के बाद लगता है आपको ईवीएम फिर सपने में नजर आने लगी है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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