पीएम मोदी के “आंदोलनजीवी” शब्द पर भड़के दिग्विजय सिंह, कही ये बड़ी बात 

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश में पिछले कुछ वर्षों में हुए लगभग सभी आंदोलनों में शामिल हुए कुछ खास चेहरों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उन्हें आन्दोलनजीवी (Andolanjeewi)कहा तो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल भड़क गए हैं और पीएम मोदी पर हमलावर हो गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने राज्यसभा में मंगलवार को उन लोगों पर प्रहार किया जो आंदोलनों पर ही अपनी राजनीति करते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि किसान आंदोलन में कुछ ऐसे लोग घुस आये हैं जो आंदोलन की आड़ में ना सिर्फ देश को बदनाम कर रहे हैं बल्कि राजनैतिक रोटियां सेक रहे  हैं। ये लोग चाहें JNU का आंदोलन हो, CAA-NRC का आंदोलन हो या अब किसान आंदोलन सभी में दिख जायेंगे दर असल ये लोग आंदोलनजीवी (Andolanjeewi) हैं।  इसके बिना इनका गुजारा नहीं होता।

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आन्दोलनजीवी (Andolanjeewi) शब्द पर कांग्रेस (Congress) ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर पलटवार किया है। दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने ट्वीट (Tweet) किया – मोदी जी आप क्या हैं? परजीवी भाषणजीवी आंदोलनजीवी स्वजीवी? या जैसा समय वैसा भेस?

https://twitter.com/digvijaya_28/status/1359304421620862976

इस ट्वीट (Tweet) के साथ दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें भाजपा नेताओ को आंदोलनों में शामिल दिखाया गया है।  इन नेताओं में लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी, हर्षवर्धन, स्मृति ईरानी, प्रह्लाद पटेल, अरुण जेटली, सुशील कुमार शिंदे, शिवराज सिंह चौहान , वीडी शर्मा , विश्वास सारंग आदि शामिल हैं।

राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह(Digvijay Singh) ने एक ट्वीट (Tweet) और करते हुए लिखा – जब भगत सिंह जैसे युवा फांसी चढ़ रहे थे,, तब RSS के गुरु गोलवलकर ने भी अपने स्वयंसेवकों से कहा था, ‘आंदोलनजीवी ‘पागलों’ की टोली से दूर रहें.’ आंदोलनजीवियों ने फिर भी देश आज़ाद करा लिया

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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