नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पिछले दिनों हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी(Congress working committee) की बैठक मैं एक तरफ जहां हंगामे की स्थिति बन गई थी। वहीं दूसरी तरफ इसका साफ असर कांग्रेस पार्टी(Congress Party) के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाने वाले नेताओं पर भी देखा गया। हालांकि स्पष्ट तौर पर कोई भी वरिष्ठ नेता यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है। इसी बीच कांग्रेस ने केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए प्रमुख अध्यादेशों(Ordinances) पर पार्टी के पक्ष की चर्चा और उसे तैयार करने के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है। जिसमें राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह(Rajya Sabha MP and senior Congress leader from Madhya Pradesh Digvijay Singh) को जगह दी गई है।
दरअसल 5 सदस्यीय कमेटी में दिग्विजय सिंह के अलावा पी चिदंबरम(P Chidambaram), जयराम रमेश(JaiRam Ramesh), अमर सिंह(Amar Singh) और गौरव गोगाई(Gaurav Gogai) को भी जगह मिली है। यह कमेटी केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण अध्यादेशों को लेकर विपक्ष के पक्ष पर चर्चा करेगी और उसे तय करने का कार्य करेगी। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी(Congress President Sonia Gandhi) द्वारा गठित इस समिति के संयोजक जयराम रमेश होंगे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद यह बड़ा पार्टी निर्णय है। जिसमें दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को जगह मिली है।
हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले 24 कांग्रेसी वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र में असंतुष्ट स्वर मिलने के बाद बनी पहली प्रमुख समिति में वरिष्ठ नेताओं को जगह दी गई है। बता दें कि इन नेताओं के पास काफी लंबे समय से पार्टी की प्रमुख जिम्मेदारी नहीं रही थी। वहीं दूसरी तरफ इस 5 सदस्यीय समिति में पार्टी के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाने वाले वरिष्ठ नेताओं में से किसी को जगह ना मिलना कई सारे सवाल खड़े कर रहा है। कांग्रेस के दावे तो ऐसे हैं कि पार्टी में सब कुछ सही है आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि वाकई पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की स्थिति पहले जैसी ही है।