70 साल की महिला मरीज को दी DRDO की 2-DG, ऑक्सीजन लेवल पहुंचा 94

Atul Saxena
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। DRDO द्वारा बनाई गई दवा 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) का प्रयोग पहली बार इंदौर में एक 70 वर्षीय महिला पर किया गया है और इसका शानदार परिणाम भी सामने आया है।  सोशल मीडिया पर जारी अस्पताल की डॉक्टर के वीडियो में दावा किया जा रहा है कि 2-DG दवा देने के एक घंटे के बाद मरीज का सेचुरेशन लेवल बढ़ गया।  वीडियो को सोशल मीडिया यूजर बहुत तेजी से वायरल कर रहे हैं और भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ कर रहे हैं।

कोरोना महामारी में ऑक्सीजन लेवल को नार्मल रखने पर डॉक्टर सबसे ज्यादा जोर दे रहे हैं। शरीर में कम होती ऑक्सीजन बढ़ाने के लिए डॉक्टर ऑक्सीजन की वैकल्पिक इंतजामों का प्रयोग कर रहे हैं।  इसी बीच पिछले दिनों DRDO ने कोरोना मरीजों के लिए एक दवा 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) बनाई। DRDO के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इस दवा को लेने के बाद कोरोना मरीज में ऑक्सीजन की कमी दूर हो सकेगी और उसे कोरोना में भी आराम मिलेगा।  और इंदौर में DRDO के  वैज्ञानिकों का ये दावा सच साबित हुआ।

वायरल वीडियो में बताया जा रहा है कि 70 साल की मरीज संतोष गोयल को जब 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) दवा दी गई तब उनका सेचुरेशन 92 था उन्हें 14 लीटर ऑक्सीजन दी जा रही थी और 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) देते ही एक घंटे दस मिनट में ऑक्सीजन लेवल 94 पर पहुँच गया।

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बताया जा रहा है कि मरीज संतोष गोयल कोरोना संक्रमित होने के बाद इंदौर के सीएचएल अस्पताल में भर्ती हुई थी , कुछ दिन बाद इन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने पर परिजनों ने 19 मई को फिर से भर्ती कराया और अब उनकी हालत में सुधार है।  उधर इंदौर के कोविड नोडल अधिकारी डॉ अमित मालाकार ने कहा कि 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) दवा बाजार में अभी नहीं आई है मरीज के परिजनों ने खुद इसे अरेंज किया है उधर मरीज के बेटे पीयूष गोयल का कहना है कि दवा के अच्छे परिणाम आये हैं।

70 साल की कोरोना मरीज पर 2 डीऑक्सी डी ग्लूकोज (2-DG) दवा के अच्छे परिणाम के दावे के बाद सोशल मीडिया  यूजर अस्पताल का वीडियो वायरल कर DRDO और भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ कर रहे हैं।

https://twitter.com/THESACHINBHATI/status/1396853656377434121

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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