इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के इंदौर में बुजुर्गों (Elderly) पर नगर निगम द्वारा की गई अमानवीय कार्रवाई के मामले में अब सियासत तेज हो गई है। जहां बीजेपी सांसद शंकर लालवानी (BJP MP Shankar Lalwani) ने इस मुद्दे पर कांग्रेस (Congress) को राजनीति न करने की सलाह दी थी वही दूसरी ओर निकाय चुनाव के पहले कांग्रेस इस मुद्दे पर प्रशासन और भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है।
सोमवार को इंदौर में पूर्व मंत्री और विधायक जीतू पटवारी (Jitu Patwari)ने कई सवाल प्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government) पर उठाए। विधायक जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने प्रदेश सरकार द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर दोहरे रवैये पर निशाना साधते हुए कहा कि जहां एक ओर कचरे के मामले पर ग्वालियर निगम आयुक्त पर निलंबन की कार्रवाई की जाती है वही गृहमंत्री के बुलावे पर तहसीलदार के न आने पर निलंबन कार्रवाई हुई है और मंत्री गोपाल भार्गव को रिसीव नही करने पर दो अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिर सकती है तो फिर इंदौर में बुजुर्गों के क्षिप्रा विसर्जन मामले में सरकार क्यों नही निगमायुक्त और जिला कलेक्टर को निलंबित करती है।
कांग्रेस (Congress) ने कहा कि सीएम अपने सपनों के शहर इंदौर में 7 घण्टे रहते हैं लेकिन क्या वो रैन बसेरे में जाकर बुजुर्गों से नही मिल सकते थे और ना ही उन्होंने इस संबंध में कुछ कहा। कांग्रेस का आरोप है कि विश्व भर में इंदौर का नाम बदनाम कर देने वाली घटना के बावजूद सरकार अधिकारियों को बचाने में लगी है जबकि सरकार को निगमायुक्त और कलेक्टर पर कार्रवाई कर एक उदाहरण पेश करना चाहिए ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी (Jitu Patwari)ने कहा कि निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के साथ ही एक अपर आयुक्त की गलती की जांच भी उसी स्तर के अधिकारी से कराना अनुचित है। इधर, पटवारी ने ये भी कहा कि निगम आयुक्त और कलेक्टर की जबावदेही तय की जानी चाहिए और कांग्रेस उनके निलंबन की मांग को लेकर संभागायुक्त कार्यालय पर मंगलवार को ज्ञापन सौंपकर विरोध जताएगी।
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी (Jitu Patwari) ने इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह पर भी निशाना साधा और कहा कि बुजुर्गों के अपमान पर भले ही कितनी माफी ईश्वर से मांग ली जाए लेकिन ईश्वर ऐसी गलती पर माफ नहीं करता है। वहीँ पटवारी ने कहा कि मानवीयता से जुड़े मामले पर कांग्रेस राजनीति नहीं बल्कि इंदौर पर लगे काले दाग को हटाने के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग कर रही है।
इधर, कांग्रेस के महापौर पद के संभावित प्रत्याशी और विधायक संजय शुक्ला ने कहा कि शुक्रवार को शहरी सीमा से बाहर करने के लिए 15 बुजुर्गों को ले जाया गया था जिनमें से केवल 4 बुजुर्ग ही मिल पाए हैं ऐसे में अधिकारियों पर अपहरण का केस दर्ज किया जाना चाहिये।वही निगम की पूर्व नेता प्रतिपक्ष फौजिया शेख अलीम ने कहा कि जब शहर के सभी रैन बसेरे निगम संचालित करता था तब 25 हजार रुपये प्रतिमाह में तीन शिफ्ट में बेहतर तरीके से संचालन होता था लेकिन जब से रैन बसेरों को ठेकेदारों को सौंपा है तब से 55 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च कर रहा है और रैन बसेरों में मनमाने तरीके से काम हो रहा है लोगों के लिए समुचित व्यवस्था रैन बसेरों में नहीं है।
कुल मिलाकर, इंदौर में बुजुर्गों और भिक्षावृत्ति करने वालों को लेकर सियासत तेज हो चली है और अब तक सरकार की ओर से इस गम्भीर मामले में कोई बड़ी कार्रवाई न किये जाने के चलते कई सवाल उठ रहे हैं । फिलहाल, कांग्रेस इस घटना के बाद अब हमलावर हो गई है और आने वाले दिनों में इंदौर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है क्योंकि गलती निगम से हुई है और फिलहाल, निगम की मुखिया वो ही है।