इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। पूरे देश मे सुर्खियों में आया मध्य प्रदेश का बहुचर्चित भय्यू जी महाराज सुसाइड केस में फैसला आ गया है, केस में 3 साल बाद फैसला आया है। इंदौर जिला कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र सोनी ने शिष्या पलक, मुख्य सेवादार विनायक, ड्राइवर शरद को दोषी ठहराया है। तीनों को 6-6 साल कैद की सजा सुनाई है।
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गौरतलब है कि भय्यू जी महाराज ने 12 जून 2018 को अपने आवास पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस सुसाइड केस में पुलिस ने महाराज के 2 सेवादारों विनायक और शरद को सुसाइड के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। शरद ड्राइवर था, जबकि विनायक पुराना कर्मचारी। भय्यू महाराज का सारा हिसाब-किताब विनायक देखता था। वही पुलिस ने उनकी शिष्या पलक के खिलाफ भी तमाम सबूत मिले थे, बताया जाता है की पलक ने भय्यू महाराज के अश्लील वीडियो बना लिए थे और इसके जरिए ही वह उन्हें ब्लैकमेल करती थी। इधर, भय्यू महाराज ने आयुषी के साथ 17 अप्रैल 2017 को शादी कर ली। पलक ने उन पर एक साल के अंदर शादी करने का दबाव बनाया। पलक दो साल से ज्यादा वक्त से उनके संपर्क में थी। वह महाराज से शादी करना चाहती थी, लेकिन महाराज की डॉ. आयुषी से शादी हो गई। शादी वाले दिन भी पलक ने हंगामा किया था और 16 जून तक उन्हें शादी करने का वक्त दिया था। लेकिन जब पलक अपने मकसद में सफल नहीं हुई तो उसने विनायक और शरद के साथ मिलकर महाराज को ब्लैक्मैल करना शुरू कर दिया, जिससे परेशान होकर महाराज ने खुद को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था।
पूरे मामले में अभियोजन ने 32 गवाह कोर्ट के समक्ष पेश किए। भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू और बहन समेत डॉ पवन राठी के बयान भी हो चुके हैं। मामले में जब तत्कालीन CSP सुरेंद्र सिंह का प्रतिपरीक्षण हुआ था। उन्होंने कहा था कि महाराज के पास से पुलिस ने एक डायरी जब्त की थी। इसमें महाराज ने लिखा था कि जीवन से परेशान हूं, इसलिए जीवन छोड़ रहा हूं। इस डायरी में उन्होंने आरोपी विनायक को विश्वासपात्र बताया था। CSP सुरेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकारा था कि मामले में जांच के तहत कुछ लोगों के बयान दर्ज किए थे। इनमें से किसी ने भी आरोपियों पर शक नहीं जताया था। आत्महत्या वाली घटना के 6 माह बाद पुलिस ने विनायक, शरद और पलक को आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया था। घटना के 6 माह तक किसी पर भी कोई आरोप नहीं लगा था।