शिव ‘राज’ में कलेक्टर के आगे दंडवत अन्नदाता

Gaurav Sharma
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अशोकनगर,हितेंद्र बुधौलिया। मध्य प्रदेश सरकार और उसके मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही किसानों को देश और प्रदेश का अन्नदाता कहते हैं। मगर अशोकनगर जिले के कलेक्टर किसानों को कुछ भी नहीं समझते और खुद को भगवान समझते हैं । इसलिए 4 दिन से कलेक्ट्रेट के सामने आंदोलनरत भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी आज कलेक्टर दफ्तर में धरना स्थल से दंडवत करते हुए पहुंचे, ताकि उनकी सुनवाई हो सके।

इस दौरान भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष राजकुमार रघुवंशी चक्कर खाकर बेहोश भी हो गए। किसान संघ के पदाधिकारी बीते 4 दिन से खराब हुई सोयाबीन एवं उड़द की फसल के मुआवजे सहित कुछ मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। मगर कलेक्टर द्वारा इनकी मांगों पर अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया है। इस कारण किसानों ने यह अनोखा प्रदर्शन किया। किसान संघ ने कलेक्टर पर असंवेदनशील एवं किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है।

भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष रामकुमार रघुवंशी ने बताया कि 4 दिन से किसान सोयाबीन एवं उड़द की खराब हुई फसल के मुआवजे सम्मान निधि आदि किसानों की 9 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं। मगर अभी तक किसानों की मांगों पर कलेक्टर ने कोई सकारात्मक पहल नहीं की। साथ ही उन्होंने कलेक्टर अभय वर्मा पर आरोप लगाया कि यह पूरी तरह से किसान विरोधी है और वह अपने आप को भगवान से कम नहीं समझते। इसलिए आज उनको मनाने और किसानों के हित में काम करने के लिए जिस तरह मंदिर में भगवान को मनाने जाते हैं। उसी तरह किसान जमीन पर लेटते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे है,ताकि किसानों की मांगों का निराकरण हो सके। किसानों ने इस दौरान कलेक्ट्रेट के गेट पर नारियल भी फोड़ा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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