पूर्व मुख्यमंत्री ने लौटाया पद्म सम्मान, मप्र के किसान भी पहुंचे आंदोलन में

Atul Saxena
Published on -

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। पिछले आठ दिनों से जारी किसान आंदोलन के बीच आज गुरुवर को सरकार और किसान संगठनों के बीच चौथे दौर की वार्ता जारी है। लेकिन इसी बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने विरोध स्वरूप अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया है। उधर दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर मध्यप्रदेश के ग्वालियर और इसके आसपास के करीब 2000 किसान पहुँच गए हैं। किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारी पुलिस बल ने किसानों को दिल्ली में घुसने से रोक दिया है।

केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि संशोधन कानून के खिलाफ दल का किसान इस समय आंदोलन कर रहा है। दिल्ली के सभी बॉर्डर पर किसानों के जत्थे इकट्ठे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार ने जो तीन नये कृषि कानून बनाये है उसे वापस ले। ये कानून किसानों की कमर तोड़ने वाले हैं। हालांकि पिछले आठ दिनों से जारी इस आंदोलन के दौरान सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से तीन दौर की वार्ता विफल हो चुकी है आज चौथे दौर की वार्ता खबर लिखे जाने तक जारी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर रेल मंत्री पीयूष गोयल सहित अन्य मंत्री और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी आज चालीस संगठनों के प्रतिनिधियों से बात कर रहे हैं।

बादल ने लौटाया पद्म विभूषण सम्मान

कृषि कानून को लेकर राजग से नाता तोड़ लेने वाले शिरोमणि अकाली दल बादल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने विरोध स्वरूप आज अपना पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया।

मध्यप्रदेश के किसान भी पहुंचे

किसान आंदोलन में अब मध्यप्रदेश के किसान भी शामिल हो गए हैं । तय कार्यक्रम के अनुसार आज दो दिसंबर को ग्वालियर, भितरवार, डबरा सहित ग्वालियर चंबल के कई क्षेत्रों के करीब 2000 किसान आंदोलन में शामिल होने गए हैं। आंदोलन में शामिल ग्वालियर के घरसोन्दी के किसान परगट सिंह ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया कि हमें हरियाणा पुलिस ने पलवल दिल्ली बॉर्डर पर रोक लिया है । अब हम इस कानून को वापस होने के बाद ही लौटेंगे। हमने सड़क पर खाना बनाना शुरू कर दिया है। अब यहीं सोयेंगे। अंतिम सांस तक लड़ेंगे।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News