भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के बैतूल (betul) निवासी एक बुजुर्ग ने 1947 में भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी (independence) दिलवाने में महत्वपूर्ण (important) भूमिका नभाई थी। अब एक बार फिर उन्होंने बहुत ही तगड़े योद्धा से लड़ाई (fight) मोल ली थी जिसे हराकर (defeated) उन्होंने पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। ये हम सभी के लिए एक अच्छी और सकारात्मक (positive) है। इन बुजुर्ग की आयु 104 साल है और इन्होंने कोरोना को मात दे दी है। ये स्वतन्त्रता सेनानी बैतूल के रहने वाले हैं और यहीं इन्होंने कोरोना (corona) को मात दी है।
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दरअसल बिरधीचन्द जी गोथी 5 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद घर पर ही एक डॉक्टर जो कि इनके परिवार के सदस्य भी हैं, उन्हीं की देखरेख में इनका इलाज चल रहा था जिसके बाद अब बिरधीचन्द जी गोथी ने अपने जज़्बे और बुलंद हौसले को कायम रखते हुए कोरोना को मात दे दी है और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गयी है। हालांकि अभी भी उन्हें दिन में 2-3 घंटे के लिए ऑक्सीजन देनी पड़ती है। इन सब की जानकारी बिरधीचन्द जी गोथी के पोते श्रेयांस गोथी ने दी।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरधीचन्द जो गोथी के बारे में बैतूल के निवासी बताते हैं कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान कई बार गोथी जी को जेल जाना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी अपने उसूलों के साथ समझौता नहीं किया। गोथी महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन करते आए हैं और उन्ही पर अब तक अमल करते हैं।
जब उनसे उनकी और कोरोना की लड़ाई के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “सकारात्मक सोचें, मुस्कुराएं, व्यायाम करें और संतुलित आहार खाएं।”