MP : परिवहन स्टेनों को राजपत्रित देने का मामला, मंत्री बोले- जानकारी नहीं, जांच कराएंगे

Pooja Khodani
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सिंधिया

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्य प्रदेश (MP) के परिवहन विभाग (transport Department) के स्टेनों (Steno)  को राजपत्रित दर्जा (Gazetted status) देने का मामला गरमा गया है। दरअसल परिवहन आयुक्त कार्यालय (Transport Commissioner Office Gwalior) में पदस्थ प्रथम श्रेणी स्टेनो सत्य प्रकाश शर्मा को वर्ष 2018 में राज्य पत्र दर्जा दिया गया था जिसे लेकर कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) में सामान्य प्रशासन मंत्री रहे और वर्तमान में कांग्रेस विधायक  (Congress MLA)  डॉ गोविंद सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

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तत्कालीन मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह  (Dr. Govind Singh) ने सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि किसी भी स्टेनों को राजपत्रित दर्जा दिया जाना शासकीय के नियमों के खिलाफ है ।लिहाजा ऐसा करना ठीक नहीं होगा ।सूत्रों की मानें तो परिवहन विभाग के कुछ अधिकारियों ने भी इस पर कङी आपत्ति जताई थी ।बावजूद इसके सत्य प्रकाश शर्मा को राजपत्रित दर्जा दे दिया गया ।

डॉक्टर गोविंद सिंह ने इसे अति गंभीर बताते हुए कहा था कि जब तत्कालीन सामान्य प्रशासन मंत्री रहते हुए मेरे द्वारा इस तरह राजपत्रित दर्जा दिए जाने का विरोध किया गया था तो फिर कैसे राजपत्रित दर्जा दे दिया गया। उन्होंने इस पूरे मामले में सत्य प्रकाश शर्मा के अधिकारियों के साथ लेनदेन के संबंध होने का आरोप लगाते हुए विधानसभा (MP Assembly) में इस मामले को उठाने की बात भी कही थी ।

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शनिवार को ग्वालियर (Gwalior) दौरे पर आए मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Transport Minister Govind Singh Rajput) से जब पत्रकारों ने इस मामले में सवाल पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर इससे अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें इस मामले की बिल्कुल जानकारी नहीं है और यह जानकारी उनके सामने आएगी तो वे निश्चित रूप से इसकी जांच कराएंगे ।जब सत्य प्रकाश शर्मा को राजपत्रित दर्जा दिया गया था तब भी कई विभागीय कर्मचारियों ने इस बात का विरोध यह कहते हुए किया था कि उन्हें भी इस तरह की पदोन्नति (Promotion)  दी जानी चाहिए । बावजूद इसके अकेले सत्यप्रकाश पर ही यह मेहरबानी क्यों की गई, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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