जबलपुर।
मध्यप्रदेश में किसानों को लेकर शिवराज सरकार के दावे तो बहुत हैं। किंतु अब इन दावों की पोल खुलती साफ नजर आ रही है। दरअसल प्रदेश में मूंग और उड़द की उपज कट कर तैयार है और राज्य शासन ने उड़द और मूंग को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने का ऐलान किया था। बावजूद इसके अब तक सरकार की तरफ से पंजीयन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। जिसको लेकर किसान काफी परेशान है और वह औने पौने दामों में व्यापारियों को अपनी फसल बेचने पर मजबूर है।
दरअसल प्रदेश की सरकार ने मूंग और उड़द की उपज को समर्थन मूल्य पर खरीदने का ऐलान किया था। जिसके बाद कहा गया था कि 1 जून से इन फसलों को खरीदने के लिए पंजीयन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। लेकिन सरकार की तरफ से 1 से 15 जून तक पंजीयन प्रक्रिया को बढ़ाकर 25 जून कर दिया गया था। और अब 25 जून के बाद भी पंजीयन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। वही किसानों के मूंग और उड़द की फसल कटकर तैयार है। लगातार देरी की वजह से किसान परेशान है और बिचौलियों को अपनी फसल आधे पौने दामों पर देने के लिए मजबूर भी हैं। जिसको लेकर किसानों का कहना है कि उन्हें प्रति क्विंटल 1500 से 2000 कम दाम में बिचौलियों को अपनी फसल बेचने पड़ रही है। वही किसानों का यह भी कहना है कि जिस तरह गेहूं और धान की खरीदी सरकार करती है, अगर उसी तरह उड़द और मूंग की खरीदी भी की जाती तो हमें भी चोली और व्यापारियों द्वारा मनमाने दाम पर उनके उपज खरीदी से छुटकारा मिल जाता।
इसी पर भारत कृषक समाज के संभागीय सचिव रूपेंद्र पटेल ने कहा है कि सरकार द्वारा पंजीयन नहीं किए जाने से किसान परेशान है और उन्हें अपनी मूंग और उड़द की उपज कम दामों पर व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है। जबकि किसान यूनिट रमेश पटेल का कहना है कि उड़द और मूंग का अच्छा रेट नहीं मिल रहा है। इससे आगे की फसल बुवाई में किसानों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि जबलपुर जिले में लगभग 270000 हेक्टेयर भूमि में 213000 पर किसान किसानी करते हैं। जिनमें से 15000 हेक्टेयर भूमि पर मूंग और 16000 हेक्टेयर भूमि पर उड़द की खेती की जाती है। वही मूंग के फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य 7050 रुपए जबकि उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य 5700 रुपए की लागत रखते हैं। जबकि व्यापारी किसानों से मूंग की फसल 5 से 6000 और उड़द की फसल 4500 से 5000 रुपए में खरीद रहे हैं।