GWALIOR- बुजुर्ग को ठेला धकेलते देख पसीजा मंत्री जी का दिल , फिर हुआ ये 

Atul Saxena
Published on -

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ( Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) की कार्यशैली से सब परिचित हैं। जब वे जनता के बीच होते हैं तो जन सेवक की भूमिका में आ जाते हैं। वे गरीबों का दुःख दर्द बांटते हैं, बुजुर्गों के पैर छूते हैं, उनके पैरों में बैठकर उनकी समस्या सुलझाते हैं। लेकिन आज उन्होंने एक और अलग काम किया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Energy Minister Pradyuman Singh Tomar )ने सड़क पर सामान से भरा चार पहिये का ठेला ले जा रहे बुजुर्ग को देखकर उसके ठेले को खुद धक्का लगाया। इतना ही नहीं मंत्री जी ने बुजुर्ग की वृद्धावस्था पेंशन दिलवाने के प्रयास भी तत्काल शुरू कर दिए।

शिवराज सरकार (Shivraj government) में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ( Energy Minister Pradyuman Singh Tomar) इन दिनों अपने घर ग्वालियर पर हैं। कल उन्होंने नया साल और अपना जन्म दिन अपने लोगों के साथ मनाया। आज शनिवार को जब वे अपनी विधानसभा में घर से कुछ दूरी पर स्टेट बैंक चौराहे के पास खड़े होकर लोगों की समस्याएं सुन रहे थे तभी उनकी नजर एक बुजुर्ग (Old man) पर पड़ी।  बुजुर्ग फर्नीचर का सामान बोर्ड आदि लेकर कहीं जा रहा था। वजन अधिक होने से बुजुर्ग को तकलीफ हो रही थी। मंत्री जी का ध्यान अचानक उस बुजुर्ग की तरफ गया वे उसके पास पहुंचे और उसके साथ ठेले को धक्का देने लगे। रास्ते में लोग मंत्री का अभिवादन कर रहे थे और मंत्री जी कह रहे थे जरा बाबा की मदद कर दूँ फिर मिलता हूँ।

मंत्री ने पूछा नाम पता, फिर शुरू कराई वृद्धावस्था पेंशन  

ठेले को धक्का देते हुए मंत्री जी ने जब बुजुर्ग का नाम पूछा तो उसने अपना नाम रघुवर पाल बताया।  बुजुर्ग मंत्री जी की विधानसभा का ही निवासी निकला।  वो गोसपुरा नंबर एक का निवासी था परिवार में कोई नहीं है अकेला रहता है।  पेट भरने के लिए ठेला चलाता है , उम्र करीब 65 – 70 होगी।  मंत्री ने रघुवर पाल की बात सुनने के बाद साथ चल  रहे निज सहायक को बाबा की वृद्धावस्था पेंशन शुरू करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने बाबा को अपनी गाड़ी से उसके पेंशन के लिए जरुरी कागज लेने घर भेजा और कहा कि आपको जल्दी ही शासन द्वारा निर्धारित वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिलेगा।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News