निजी अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग की टेढ़ी नजर, आपदा में मोटी कमाई का अवसर मामला

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जबलपुर,संदीप कुमार। ईलाज़ के नाम पर मरीजो से मोटी रकम वसूलनें वाले शहर के निजी नर्सिंग होम और अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग की तिरछी नजर पड़ गई है, मध्यप्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी यानी (एसीएस) की फटकार के बाद जिले के 120 से ज्यादा नर्सिंग होम और अस्पतालों की जांच शुरू कर दी गई है,जिसके चलते पहले चरण में विभाग ने 20 अस्पतालों को राडार पर लिया है, जहां नर्सिंग होम एक्ट की गाइड लाइन के तहत अस्पतालों में मरीजो को दी जाने वाली व्यवस्थाओं को खंगाला जा रहा है।

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कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान निजी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर लगातार मरीज और उनके परिजनों ने अंगुली उठाई थी जिसकी शिकायत भी खूब हुई लिहाजा इन सबको देखते हुए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ने स्वास्थ्य महकमें को फटकार लगाई, जिसके बाद लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र जारी कर निजी अस्पतालों की जांच न होने पर नाराजगी जताते हुए जांच करने के निर्देश दिए है।

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लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा दस्तावेजों का सत्यापन व निजी अस्पतालों का भौतिक परीक्षण नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते तमाम निजी अस्पतालों में मरीजों को जहां आयुष्मान योजना, ईएसआइसी, सीजीएसएस के लाभार्थियों को अपेक्षित सुविधा नहीं मिल पा रही है, साथ ही अन्य मरीजो को भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, लिहाजा आम लोगों पर विभाग के कामकाज को लेकर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है,और मरीजों में निजी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी देखी जा रही है,जिसके बाद जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकरी डॉ रत्नेश कुरारिया ने आनन- फानन में एक 10 सदस्यीय जांच दल का गठन कर निजी अस्पतालों की जांच के निर्देश दिए।


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Harpreet Kaur

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