ग्वालियर।अतुल सक्सेना।
पिछले साल फरवरी में नगर निगम आयुक्त ग्वालियर की कुर्सी संभालने वाले संदीप माकिन की लंबे अरसे बाद अंचल से बिदाई हो ही गई। लगभग 15 साल तक ग्वालियर चंबल अंचल में अपनी नियुक्ति करवाने में कामयाब रहे संदीप माकिन को कमलनाथ सरकार ने आखिरकार इस अंचल से विदा कर दिया। कमलनाथ के इस्तीफे से एक दिन पहले सरकार ने 19 मार्च को संदीप माकिन को संचालक गैस राहत भोपाल बनाकर भेज दिया और जबलपुर अपर कलेक्टर हर्ष दीक्षित को नगर निगम आयुक्त ग्वालियर बनाकर भेज दिया है। संदीप माकिन के कार्यकाल की खासियत ये रही कि ये ना तो जनता की उम्मीदों पर खरे उतरे और ना ही जनप्रतिनिधियों के।
पिछले साल नगर निगम आयुक्त की कुर्सी संभालने वाले संदीप माकिन ने जॉइन करने के बाद 26 फरवरी 2019 को पत्रकारों से बात करते हुए अपनी प्राथमिकतायें बताई थी। जिसमें विकास कार्यों को गति देना, कार्यों की गुणवत्ता पर ध्यान देना, स्मार्ट सिटी और अमृत के कार्यों को गतिशीलता प्रदान करना शामिल था लेकिन एक साल 19 दिन के कार्यकाल में वे एक भी प्राथमिकता पूरी नहीं कर सके। उल्टा शहर में विकास कार्य ठप पड़ गए। अमृत योजना को लेकर जनप्रतिनिधियों ने कई बार सवाल उठाये। लेकिन अपने अड़ियल रवैये के चलते उन्होंने कभी किसी की नहीं सुनी। सबसे खराब स्थिति कचरा संगृहण योजना की रही। नगर निगम ने इको ग्रीन कंपनी को ठेका दिया लेकिन कंपनी पर कई बार उंगली उठी। प्रभारी मंत्री रहे उमंग सिंगार और पूर्व खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कई बार इको ग्रीन को ब्लेक लिस्ट करने और उसका ठेका निरस्त कर FIR कराने के निर्देश दिया लेकिन हर बार आयुक्त संदीप माकिन ने इको ग्रीन कंपनी को बचाया । आयुक्त की कार्यशैली और व्यवहार को लेकर पार्षदों ने संभाग आयुक्त, कलेक्टर और नगर निगम सभापति से भी शिकायत की थी। पार्षदों की शिकायत थी कि निगम आयुक्त ना तो उन्हें समय देते हैं और ना ही उनके क्षेत्र के विकास कार्यों की फाइल आगे बढ़ाते हैं। नाराज होकर पिछले साल कांग्रेस सरकार के गठन के बाद नवंबर में तो भाजपा शासित नगर निगम में भाजपा के पार्षद निगम आयुक्त के खिलाफ निंदा प्रस्ताव नगर निगम परिषद में लेकर आये थे और उसपर चर्चा भी हुई थी इस प्रस्ताव में उन्हें विपक्ष का भी मौन समर्थन मिला था। लेकिन निगम आयुक्त द्वारा पार्षदों को समय देने और उनके कार्यों को प्राथमिकता से लेने के वादे के बाद ये प्रस्ताव वापस हो गया था।
हाईकोर्ट लगा चुका है 50,000रुपये का जुर्माना
शहर में अवैध होर्डिंग मामले में नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन को हाईकोर्ट की फटकार भी सुनने को मिली है। गलत जानकारी देने पर ग्वालियर हाईकोर्ट उनपर 50,000 रुपये की कॉस्ट यानि जुर्माना भी लगा चुका है। अवैध तलघर मामले में भी वे कोर्ट की फटकार कई बार सुन चुके हैं।
पहले भाजपा फिर कांग्रेस खेमे से बढ़ाई नजदीकियां, महल भी था नाराज
संदीप माकिन के ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी प्रशांत मेहता से नजदीकियां थी इसी वजह से वे सिंधिया के करीबी भी थे। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्हें कई बार महल यानि जयविलास पैलेस जाते देखा गया लेकिन दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के विभागीय मंत्री बन जाने के बाद उन्होंने उनसे नजदीकियां बढ़ा ली थी जिसके कारण महल उनसे नाराज हो गया था। गौरतलब है कि राजनैतिक सिफारिशों से काम करने के लिए चर्चित रहे संदीप माकिन इससे पहले भाजपा के बड़े नेताओं के बंगलों में भी देखे जाते रहे हैं। बहरहाल पिछले लगभग 15 वर्षों में ग्वालियर में एसडीएम, एडीएम, अपर आयुक्त आबकारी, दतिया और भिंड में अपर कलेक्टर सहित अन्य कई पदों पर काबिज रहने वाले संदीप माकिन पास के ही किसी जिले में कलेक्टर बनना चाहते थे लेकिन कमलनाथ सरकार ने जाते जाते उन्हें लूप लाइन में भेज दिया और संचालक गैस राहत भोपाल भेज दिया। अब देखना ये होगा कि वे कितने जल्दी अंचल में वापसी करते हैं।