कैलाश विजयवर्गीय ने साधा पूर्व सीएम पर निशाना, कहा-दिग्विजय सिंह करते है वोट की राजनीति

इंदौर,आकाश धोलपुरे। इंदौर के पितृ पर्वत पर आज पितृ अमावस्या के मौके पर तर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी तर्पण कर दिवंगत ज्ञात – अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए तर्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे यहां पूरे विश्व को वसुदेव कुटुम्बकम की भावना के साथ प्रकृति, जीव जंतु, किट, पतंगो की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। हमारे यहां वृक्षो में ऐसा माना जाता है कि जीव होता है और आज सबके लिए तर्पण किया जाता है।

वही राज्यसभा सांसद दिग्विजयसिंह द्वारा उमर खालिद को गांधीवादी बताने पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि दिग्विजयसिंह कभी भी कुछ भी कहने लगते है। पहले उन्होंने जाकिर नाइक को शांति दूत कहा था और जांच के दौरान पाया गया है कि वो धर्मांतरण कराता है, नक्सलवादियों को सरंक्षण देता है, उनको भी उनके मंच पर जाकर शांति दूत कहा था। उन्होनें कहा कि दिग्विजयसिंह वोट की राजनीति के कारण किसी को भी महिमा मंडित कर सकते है उन्हें परहेज नही है कि कोई व्यक्ति देश द्रोही है समाज द्रोही है। कैलाश विजयवर्गीय ने ये भी कहा कि मैं समझता हूं राजनेताओ को इससे बचना चाहिए और दिग्विजयसिंह मुझसे उम्र में बढ़े है पर कम से कम समाज विरोधी लोगों के समर्थन में उन्हें नहीं खड़े होना चाहिए।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।