भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मप्र विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ (Kamalnath)की चर्चा उप चुनावों के दौरान जितनी मीडिया की सुर्खी बनी थी उतनी ही सुर्खी अब उनकी भूमिका को लेकर बन रही है। पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के निधन के बाद सबसे विश्वसनीय नेता के तौर पर कमलनाथ का नाम आना, राजनीति से दूर घर पर बैठकर आराम करने की इच्छा जताना, फिर ये कहकर सियासी हवा को तेज कर देना कि मध्यप्रदेश से हिलूंगा भी नहीं, कमलनाथ को लगातार मीडिया और सियासतदानों के लिए सुर्खी बनाये हुए है।अब एक फिर चर्चा शुरू हो गई है कि 3 जनवरी को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में कमलनाथ की भूमिका तय हो जायेगी।
AICC ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए दिल्ली में 3 जनवरी को कांग्रेस कोर कमेटी (Congress core committee) की बैठक बुलाई है। इस बैठक में अगले एक महीने में पार्टी के अध्यक्ष सहित कार्यसमिति के 12 सदस्यों के चुनाव कराने पर फैसला होना है। इस बैठक में कमलनाथ (kamalnath) भी मौजूद रहेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि सोनिया गांधी की मौजूदगी में इसी बैठक में कमलनाथ की भूमिका भी तय हो जायेगी कि वो मध्यप्रदेश में ही रहेंगे या दिल्ली वापस लौट जायेंगे। क्योंकि वरिष्ठ नेता अहमद पटेल (Ahmad Patel) और मोतीलाल वोरा (Motilal vora) के निधन के बाद गांधी परिवार(Gandhi Family) के सबसे विश्वसनीय नेता के तौर पर सिर्फ एक नाम पार्टी के सामने है वो है कमलनाथ। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) कमलनाथ को कोषाध्यक्ष बनाने का फैसला ले सकती है। कमलनाथ के पास अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा की तरह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम करने का अनुभव है।
प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष दोनों में से एक पद छोड़ना होगा
कमलनाथ के एक बार फिर दिल्ली वापस लौटने की अटकलों के बीच ये चर्चा चल पड़ी है कि वे मध्यप्रदेश में कौन सी जिम्मेदारी अपने पास रखना चाहेंगे? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष या विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष। कमलनाथ पिछले करीब दो साल से मध्यप्रदेश की राजनीति की धुरी बने हुए हैं। दिग्गज कांग्रेस नेताओं में शुमार कमलनाथ भले ही केंद्र सरकार में मंत्री रहे और केंद्रीय नेतृत्व में जिम्मेदारियां निभाते हुए रणनीतिकार की भूमिका में रहे हों लेकिन मध्यप्रदेश में उनकी ये काबिलियत कांग्रेस को सफलता नहीं दिला पाई। ज्योतिरादित्य सिंधिया से सामंजस्य नहीं बैठा पाने के कारण वे मात्र 15 महीने सरकार चला पाए, विधानसभा उप चुनावों में भी उनके सर्वे और गणित फेल हो गए जिसपर उनके ही साथी सवाल उठाने लगे हैं। इस बीच प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों की जिम्मेदारी अपने पास रखकर वे अपने ही साथियों के निशाने पर भी आये। जिसके बाद उनपर एक पद छोड़ने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
सज्जन के बयान ने बदली सियासी हवा, फिर कमलनाथ ने भी चौंकाया
अब इस बीच उनके सबसे नजदीकी विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने पिछले दिनों ये कहकर सबको चौंका दिया था कि केंद्रीय नेतृत्व कमलनाथ जी को दिल्ली बुलाना चाहता है लेकिन हम उन्हें मध्यप्रदेश नहीं छोड़ने देंगे। हालांकि अभी इस तरह की आधिकारिक बात सामने नहीं आई है जिसमें कहा गया हो कि कमलनाथ को केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है। इसी बीच कुछ दिन पहले कमलनाथ ने ये कहकर सबको चौंका दिया कि वे मध्यप्रदेश छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले। अब उनकी भूमिका का फैसला 3 जनवरी को कांग्रेस कोर कमेटी में हो सकता है।
प्रदेश अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं कमलनाथ
कांग्रेस हाई कमान कमलनाथ को मध्यप्रदेश में कौन सी भूमिका निभाने के लिए कहेगा या फिर पूर्णकालिक तौर पर दिल्ली बुला लेगा ये फैसला अभी होना है लेकिन कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ अपने पास अध्यक्ष पद रखना चाहते हैं। वे पूरे प्रदेश में अपना वर्चस्व बनाये रखना चाहते हैं। और इसकी जानकारी वे सोनिया गांधी को पिछली मुलाकात में दे चुके हैं। अब फैसला सोनिया गांधी के हाथ में है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए फिर से दौड़ शुरू
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल में कहा था कि अब उन्हें किसी पद की लालसा नहीं है। उन्होंने तो प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिये भी आवेदन नहीं दिया था, निर्देश मिला तो पद संभाल लिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष बने रहने के सवाल पर भी कहा था कि मैंने विधायकों से कह दिया है कि आपसी सहमति से वे जिसे चाहे नेता चुन सकते हैं। कमलनाथ के इस बयान के बाद सियासी पंडित ये कयास लगा रहे हैं कि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते हैं। यदि कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ते हैं तो विधानसभा के सबसे वरिष्ठ विधायक पूर्व मंत्री गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री बाला बच्चन के नाम इस पद को संभालने में सबसे ऊपर हैं।
बहरहाल, कमलनाथ नये साल में एक सप्ताह तक दिल्ली में ही रहने वाले हैं और दिल्ली ही यानि कांग्रेस हाईकमान ही उनकी भूमिका तय करेगा। यदि कमलनाथ दिल्ली जाते है अथवा उनकी दोहरी भूमिका मध्यप्रदेश में सिमटती है तो एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपनी भूमिका मजबूत करने का मौका मिल जायेगा।