ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) ने ग्वालियर में जयारोग्य अस्पताल के निरीक्षण के दौरान सख्त तेवर दिखाए। वे जगह जगह गन्दगी देखकर भड़क गए। जब उन्हें इलाज के लिए भटकते बुजुर्ग और बच्चों के परिजन दिखाई दिए तो उन्होंने डीन, अधीक्षक सहित अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों की जमकर क्लास ली। उन्होंने कहा कि जब मेरे सामने ये हाल है तो पीछे क्या होता होगा ?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) शनिवार को ग्वालियर के दौरे पर थे उन्होंने जयारोग्य अस्पताल समूह के अस्पतालों का निरीक्षण किया। मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) जब कार्डियोलॉजी अस्पताल के बाहर पहंचे तो उन्हें एक बुजुर्ग महिला स्ट्रेचर पर दिखाई दी। महिला के साथ मौजूद उसके बेटे से मंत्री ने जब कारण पूछा तो उसने कहा कि चार दिन से ECO के लिए चक्कर लगा रहे हैं। जब उससे इलाज का पर्चा माँगा तो अटेंडर के पास एक सादा कागज मिला जिसपर ना डॉक्टर का नाम था ना ही सील। ये देखकर मंत्री ने डॉक्टर्स को जमकर फटकार लगाई।
मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) जब ICU की तरफ बढे तो मिटटी पड़ी देखकर नाराज हुए इसके बाद जब वे JAH की पत्थर वाली बिल्डिंग में घुसे तो घुसते ही बदबू से नाराज हो गए, उन्हें अंदर घुसते ही गंदगी और मेडिकल वेस्ट पड़ा दिखाई दिया जिसपर वे बहुत भड़क गए और उन्होंने सफाई व्यवस्था देख रही कंपनी का एक महीने का वेतन रोकने के निर्देश दिए। जब वे अंदर गए तो उन्हें मेडिसिन विभाग में ऑक्सीजन पाइप लाइन में ड्रिप लटकी दिखी जिसपर उन्होंने मेडिसिन वार्ड के इंचार्ज की क्लास ली।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) जब सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचे तो वहां उन्हें एक छोटे बच्चे के साथ महिला मिली। उसने बताय कि वो आठ दिन से चक्कर काट रही है उसके बच्चे का MRI नहीं हो पा रहा। जब मंत्री ने वहां मौजूद स्टाफ़ से कारण पूछा तो वे कुछ तकनीकी और मेडिकल समस्या बताने लगे। लेकिन मंत्री ने कहा कि ये नहीं चलेगा आपको इमरजेंसी तो देखना चाहिए, अभी कीजिये इसका MRI .
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) शुक्रवार को अस्पताल में पकडे दो फर्जी कर्मचारियों की घटना से भी नाराज दिखाई दिए उन्होंने जीआर मेडिकल डीन डॉ एसएन अयंगार और अस्पताल अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ से कहा कि मुझे तीन दिन में इसकी पूरी रिपोर्ट चाहिए कि ये कैसे संभव हुआ और इसके पीछे कौन लोग सक्रिय हैं।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....