भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश(madhya pradesh) में एक बार फिर से सरकारी (government) और निजी इंजीनियरिंग (private engineering) और मैनेजमेंट कॉलेजों की फीस में बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education) ने सरकारी और निजी इंजीनियरिंग-मैनेजमेंट कॉलेजों को नियमित शिक्षक रखने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के बाद एक तरफ जहां कॉलेज प्रशासन और एटीपीआई (ATPI) परेशान है। वहीं दूसरी तरफ छात्रों पर भी कॉलेज फीस (college fees) का भार बढ़ सकता है।
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने सरकारी और निजी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कंपनियों को अतिथि शिक्षकों की संख्या घटाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा AICTE ने कहा है कि इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में 90% नियमित शिक्षक और 10% अतिथि शिक्षक नियुक्त किए जाएं।
हालांकि AICTE के निर्देश पर ATPI ने बड़ी मांग की है। ATPI का कहना है अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के इस निर्देश के बाद कॉलेजों पर वित्तीय खर्च में बढोतरी हो सकती हैं। इसके साथ ही एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट ने मांग की है कि अतिथि शिक्षक के अनुपात को 20% रखा जाए।
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इस मामले में ATPI के कोषाध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश में तकनीक और मेडिकल कॉलेज की हालत अच्छी नहीं है। अब ऐसे में 50 फ़ीसदी अतिथि शिक्षक और 50% नियमित शिक्षक रखने से कॉलेज में वित्तीय भार की संभावना बढ़ जाएगी क्योंकि अतिथि शिक्षक को एक कक्षा के लिए 500 से 1000 रुपए दिए जाते हैं जबकि नियमित प्रोफेसरों का वेतन 25 से 60 हजार तक प्रतिमाह होते हैं। ऐसी स्थिति में 90% नियमित शिक्षकों की भर्ती के बाद वित्तीय भार बढ़ेगा। जिसकी पूर्ति के लिए कॉलेज विद्यार्थियों की फीस बढ़ा सकते हैं।
बता दें कि प्रदेश में 150 से अधिक सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज जबकि 65 से अधिक पॉलिटेक्निक कॉलेज है। ऐसे में अतिथि शिक्षकों की कमी होने पर कॉलेजों को नियमित शिक्षक नियुक्त करने होंगे। जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष असर विद्यार्थियों की फीस पर पड़ेगा।