मुंगावली, स्वदेश शर्मा। मुंगावली की पहचान खुली जेल से होती है। क्योकि मध्यप्रदेश में खुली जेल का चलन ही मुंगावली से हुआ था और 1973 में पहली खुली जेल तत्कालीन गुना जिले के मुंगावली ब्लॉक में खोली गई थी। जिसमें चंबल के समर्पण करने वाले खूंखार डकैत मोहर सिंह और माधो सिंह सहित 70 समर्पित डकैतों को रखा गया था। लेकिन अब सरकार व जेल विभाग इसके अस्तित्व को ही मिटाने की तैयारी कर चुका है। इसके लिए बुधवार को जेल विभाग व राजस्व विभाग के अधिकारियों ने खुली जेल परिसर का भमण करके वास्तविक स्थिति को देखा।
देखा जाए तो शासन द्वारा तैयारी की गई है कि शासकीय पड़ी संपत्ति व इमारतों को जो अनुपयोगी हो चुकी है। लोक संपत्ति अधिनियम में लेकर नीलम किया जाना है और इसी प्रक्रिया के तहत इस ऐतिहासिक खुली जेल की जमीन को भी नीलाम करने की तैयारी जेल विभाग व सरकार कर रही है।
अधिकारी बोले- वरिष्ठों अधिकारियों के निर्देश पर किया भ्रमण
देखा जाए तो वर्षों से अनदेखी का शिकार हो चुकी इस ऐतिहासिक खुली जेल की जमीन पर पहुचे। इन अधिकारियों से जब भृमण का कारण जानना चाहा तो उन्होंने स्पष्ट बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसकी वास्तविक स्थिति के बारे में रिपोर्ट चाही गई है क्योकि खुली जेल को लोक संपत्ति अधिनियम के तहत शामिल किया गया है। इसलिए बरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद इसका भ्रमण किया गया है और इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
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अधिकारियों के पहुँचते ही रहवासियों में हलचल
वर्षों से लाबारिस पड़ी खुली जेल परिसर पर शासकीय कर्मचारी व अन्य लोग निवास करते हैं। जिनमें से कई कर्मचारियों द्वारा किराया भुगतान किया जाता है जबकि कई अवैध रूप से भी कब्जा कर रहे है व निवास करते हैं। लेकिन आज तक वर्षों से किसी भी अधिकारी ने इस ऐतिहासिक भवन व परिसर की ओर नजर नही की लेकिन बुधवार को अचानक जेलर व तहसीलदार के पहुँचने से यहां निवास कर रहे व आसपास के लोगों में हलचल हो गई को आखिर यह अधिकारी आये क्यो हैं और इन अधिकारियों के पास लोग आए भी लेकिन अधिकारियों ने उनको बिना कुछ बताए दूर कर दिया।
आने वाली पीढ़ी व क्षेत्र के लिए सहेजने की आवश्यकता
इस तरह अचानक जिस तरह से अधिकारी यहां पहुँचे हैं और खुली जेल को लोक संपत्ति अधिनियम के अंतर्गत शामिल किये जाने की बात कह रहे हैं । उसको देखकर कहा जा सकता है कि सरकार ने इस ऐतिहासिक धरोहर की जमीन को नीलाम करने का मन बना लिया है। इसलिए अब सवाल यह उठता है कि आने वाली पीढ़ी व क्षेत्र के लिए खुली जेल को संरक्षित करना अतिआवश्यक है। जिससे कि आने वाली पीढ़ी इस ऐतिहासिक धरोहर को देख पाएं। साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्र को एक बार फिर से प्रदेश स्तर तक पहचान मिल सकती है।
राज्यमंत्री बोले – सहेजेंगे खुली जेल
इस तरह अचानक खुली जेल की जमीन व परिसर को नीलाम करने की तैयारी के बारे में जब स्थानीय विधायक व प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री ब्रजेन्द्र सिंह यादव को स्वदेश ने अवगत कराया तो उन्होंने कहा को खुली जेल से मुंगावली की पहचान है और यह इतिहास में दर्ज है कि पहली खुली जेल मुंगावली में खोली गई थी। इसलिय इसको सहेजकर पर्यटन विभाग मैं शामिल कराने का प्रयास किया जाएगा। इस तरह एक ऐतिहासिक धरोहर के साथ छेड़छाड़ नही की जाने दी जायेगीं