भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) में भ्रष्टाचार (Corruption) का बड़ा मामला सामने आया है। दरअसल मध्यप्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में बजट (budget) में काफी कटौती की थी और अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर यह निर्देश दिए गए थे कि वे उपलब्ध बजट के अंदर समान रूप से भुगतान की व्यवस्था को सुचारु रुप से लागू करें ताकि कार्य भी चलता रहे और कार्य करने वाले ठेकेदारों को परेशानी भी ना हो।
विभिन्न मदों में भुगतान करने की प्रक्रिया भी राज्य सरकार के द्वारा तय की गई थी लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग (PWD Department) में इन नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी और निर्माण भवन में बैठे आला अधिकारियों के सरपरस्ती में ‘अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह के दे’ की तर्ज पर उन ठेकेदार लोगों को भुगतान किया गया। जिन्होंने अधिकारियों को फायदा पहुंचाया।
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इस पूरे भ्रष्टाचार में निर्माण भवन में बैठे आला अधिकारियों के साथ-साथ जिलों में बैठे अधिकारी भी शामिल थे। लोक निर्माण विभाग के ईएनसी सीपी अग्रवाल इस पूरे मामले में शिकायतें मिलने के बाद भी मौन बने रहे। विभिन्न जिलों में चुनिंदा ठेकेदारों को जिस तरह से भुगतान किया गया। उसकी पूरी सूची तैयार कर उससे ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त को शिकायत के रूप में सौंपा जा रहा है। ताकि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके।
जिन्होंने मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत जाकर इस नियम प्रक्रिया की धज्जियां उड़ा कर व्यापक भ्रष्टाचार किया। नियमो के विपरीत कार्य के मद में परिवर्तन कर वित्तीय अनिमियता की गई, पद का दुरुपयोग किया गया जिसमें लोकायुक्त की धारा 61D के तहत कार्यवाही की जा सकती है। ज्ञातव्य है कि वार्षिक अनुरक्षण मद में रोक होने के बाद भी अन्य मद से ठेकेदारों से 5 प्रतिशत कमीशन लेके अनुचित भुगतान किया गया है।इस पूरी प्रक्रिया मे इएनसी सीपी अग्रवाल और निर्माण भवन मे बैठे बसंत सराठे सहित कई कार्यपालन यंत्रियो पर गाज गिर सकती है।