बेटी की फीस के लिए ली पॉलिसी, मृत घोषित कर कंपनी के लोगों ने निकाली रकम, पिता धरने पर

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। धोखाधड़ी करने वालों पर प्रशासन की सख्ती के बावजूद उनकी कारगुजारियाँ कम नहीं हो रहीं। ताजा मामला ग्वालियर स्थित बजाज अलियांज (Bajaj Allianz) फाइनेंस कंपनी से जुड़ा है। यहाँ कंपनी के सिटी सेंटर स्थित ऑफिस के नीचे एक मजदूर पिता अपने दो बच्चों के साथ धरने पर बैठा है। इसका आरोप है कि कंपनी के लोगों ने उसे मृत (Dead) घोषित कर उसका पांच लाख का बीमा (Insurance)  निकाल लिया और रकम हजम कर गए। वो पिछले एक साल से पुलिस (Police) के चक्कर लगा रहा है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही ।

बजाज अलियांज फाइनेंस कंपनी के ऑफिस के नीचे विनोद कुमार गोयल अपने दो छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठे हैं। धरने वाली जगह पर उन्होंने एक पोस्टर भी लगा रखा है जिसमें उन्होंने उनके साथ हुई धोखाधड़ी और उसे करने वालों के नाम लिखे हैं । मेलों में झूले लगाने वाले विनोद कुमार गोयल ने बताया कि उन्होंने 2014 में बजाज एलियांज के एजेंट भारत गोयल से एक पॉलिसी करवाई थी। क्योंकि उस समय उन्हें बच्ची की फीस भरनी थी। जब वो इसकी किश्त भरने गए तो कहा गया कि अभी पॉलिसी में समय लगेगा बाद में आना। फिर मालूम चला कि भारत गोयल ने कंपनी के कर्मचारी अमित व्यास के साथ मिलकर मुझे मृत घोषित कर दिया और 5619 रुपये मेरे खाते में जमाकर पांच लाख का बीमा कैश करा लिया। विनोद ने बताया कि बीच में लॉक डाउन लग गया । अब जब मैं फिर से किश्त भरने आया तो कह रहे हैं कि बीमा लेप्स हो गया। इसलिए मैं मजबूर होकर धरने पर बैठा हूँ । उसने कहा कि वो चाहता है कि धोखाधड़ी करने वाले दोषियों को सजा मिले और उसका बीमा शुरू किया जाए। । उधर धरने की शिकायत पर पहुंची पुलिस ने विनोद की बात बजाज अलियांज के अधिकारियों से कराकर उसे धरने से उठा दिया। लेकिन बड़ी बात ये है कि इस पूरे मामले पर कंपनी के अधिकारियों ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....