जयपुर।
एमपी की तरह राजस्थान (Rajisthan) में भी गहलोत सरकार (gahlot sarkar) और सचिन पायलट (sachin -pilot) के बीच तलवारें खींच गई है। राजस्थान में मचा सियासी घमासान (Political storm) थमने का नाम नही ले रहा है। डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाए जाने के बाद सचिन पायलट ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट की तरफ रुख किया है। ये याचिका सचिन पायलट समेत 18 विधायकों द्वारा दायर की है। इस मामले में 3 बजे हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जाएगी।
दरअसल, सचिन पायलट के बगावती रुख के बाद कांग्रेस ने दो बार विधायक दल की बैठक बुलाई थी। इस बैठक के लिए बकायदा व्हिप जारी किया गया था, बावजूद इसके सचिन पायलट और उनके साथ मानेसर में ठहरे बागी विधायकों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इसके बाद कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने स्पीकर सीपी जोशी से शिकायत की।बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत 19 कांग्रेस विधायकों को नोटिस भेजकर 17 जुलाई तक जवाब देने को कहा है। इन पर एंटी डिफेक्शन लाॅ (दल-बदल कानून) लागू होता है। इसके तहत विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने का प्रावधान है। सचिन पायलट, रमेश मीणा, विश्वेंद्रसिंह, दीपेंद्रसिंह, भंवरलाल शर्मा, हेमाराम चौधरी, मुकेश भाकर, हरीश मीणा समेत 19 विधायकों को बुधवार दोपहर में नोटिस भेजे गए थे। जिसके बाद सचिन और उनके खेमे ने हाईकोर्ट का रुख किया है।सूत्रों की मानें, तो स्पीकर की ओर से भेजे गए नोटिस के कानूनी महत्व को जानने के लिए अब सचिन पायलट भी विधि से जुड़े जानकारों के संपर्क में हैं। साथ ही नोटिसों के जवाब देने की तैयारी भी सचिन पायलट समर्थक विधायकों की ओर से देने की तैयारी की जा रही है।
वही दूसरी तरफ पायलट को मनाने की कोशिश जारी है। प्रियंका गांधी ने केसी वेणुगोपाल, अहमद पटेल से सचिन पायलट से बात करने को कहा है और पार्टी में वापस आने को कहा है. दूसरी ओर अशोक गहलोत अभी भी सख्त रुख अपनाए हुए हैं। सचिन पायलट गुट के विधायकों को फोन किया जा रहा है और वापस आने को कहा जा रहा है।
उधर, बुधवार देर रात पायलट खेमे के 2 विधायक मुरारी लाल और रमेश मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हॉर्स ट्रेड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज कर दिया। दोनों ने कहा कि हमारी लड़ाई आत्मसम्मान की है। इनका कहना है कि हम गहलोत के काम से संतुष्ट नहीं हैं।विधायक रमेश मीणा ने कहा, ‘सीएम ने जो स्टेटमेंट दिया है। वह अनुचित है। लोग उनकी कार्यशैली से और उनके कामकाज से असंतुष्ट हैं। राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी हावी है। जनप्रतिनिधियों के काम नहीं हो रहे। हमने जो मांगे रखीं, उन पर सीएम ने ध्यान नहीं दिया।’