मंडला-बालाघाट चावल मामले को लेकर सियासत तेज, कमलनाथ ने उठाई CBI जांच की मांग

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चावल (Rice) को लेकर सियासत गरमाई हुई है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चांवल बटाने पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री शिवराज (Chief Minister Shivraj) ईओडब्ल्यू (EOW) से पूरे मामले की जांच करवाने के निर्देश दिए है। एक ओर जहां शिवराज सरकार खराब क़्वालिटी के चावल का ठीकरा पूर्व की कमल नाथ सरकार पर फोड़ रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस (Congress) इसके लिए बीजेपी (BJP) पर इल्जाम लगा रही है उसका कहना है की यह घोटाला सिर्फ बालाघाट और मंडल तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे प्रदेश से इसके तार जुड़े है।

मामला बालाघाट व मंडला तक ही सीमित नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “शिवराज सरकार में ये क्या हो रहा है ? प्रदेश में कही चावल घोटाला, कही गेहूं में मिलावट, कही यूरिया वितरण में फ़र्ज़ीवाडा? सार्वजनिक वितरण प्रणाली से ग़रीबों को बटने वाला चावल पोल्ट्री ग्रेड का होने का मामला सिर्फ़ बालाघाट व मंडला तक ही सीमित नहीं है।

अन्य राशन सामग्री की भी जाँच होना चाहिए
अपने अन्य ट्वीट में कमल नाथ ने लिखा, इसके तार पूरे प्रदेश से जुड़े होने का अंदेशा है ,यह एक बड़े घोटाले के रूप में सामने आ रहा है , इसमें बड़ी मिलीभगत की बात भी सामने आ रही है। पूरे प्रदेश में ग़रीबों को बटने वाले चावल व अन्य राशन सामग्री की भी जाँच होना चाहिये। पूर्व में भी इसमें मिलावट के मामले सामने आ चुके है।

मामले की सीबीआई जांच हो
कमल नाथ ने आगे कहा कि सरकार यह पूरा मामला सीबीआई को सौंपे क्योंकि ये जनहित से जुड़ा मुद्दा है। इसकी प्रदेश स्तर तक निष्पक्ष जाँच हो , इसके किसी भी दोषी को बख़्शा नहीं जाये। ऐसा लग रहा है कि सरकार जाँच के पूर्व ही इस घोटाले को दबाने में व डाईवर्ट करने में लग गयी है।

बता दें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को उच्च स्तरीय बैठक में मामले की जांच ईओडब्ल्यू से कराने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि यह गंभीर मामला है इसमें विभिन्न स्तर पर सांठ-गांठ की भी आशंका है। इस मामले की जांच में जो तथ्य उजागर होंगे दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। वहीं मुख्यमंत्री के निर्देश पर पीई दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है जांच के लिए विशेष टीम गठित की जाएगी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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