भोपाल।
मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने में आरक्षण एक बड़ा कारण रहा था। दरअसल मध्य प्रदेश में वर्ष 2014 से सरकारी सेवाओ मे प्रमोशन में नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण का मामला न्यायालय में लंबित है । सामान्य वर्ग लगातार यह मांग करता रहा है कि सरकार को प्रमोशन में आरक्षण तत्काल समाप्त करना चाहिए लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के संगठन अजाक्स के एक कार्यक्रम में यह बयान देकर सनसनी फैला दी थी कि आरक्षण कोई माई का लाल समाप्त नहीं कर सकता ।
इस बयान के बाद चुनाव के कुछ समय पहले एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन को लेकर ग्वालियर चंबल संभाग में काफी हिंसा हुई। इन दोनों कारणों से सवर्ण वर्ग की नाराजगी सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति हुई और बीजेपी को ग्वालियर चंबल संभाग में अच्छी खासी हार का सामना करना पड़ा ।अब बीजेपी एक बार फिर सरकार बनाने और है और ऐसे में अनारक्षित वर्ग के संगठन सपाक्स ने मांग की है कि प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर जो उपचुनाव होगा उसमें सामान्य ,पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग के शासकीय सेवक केवल और केवल उसी दल को समर्थन देंगे जो पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त करेगा।
सपाक्स ने यह भी कहा है कि संस्था उन सभी दलों और प्रत्याशियों का विरोध करेगी जो पदोन्नति में आरक्षण का समर्थन करते हैं। इसी के साथ-साथ सपाक्स ने यह भी अपेक्षा की है कि कोई भी अब किसी वर्ग विशेष के पक्ष या किसी को आहत करने वाले “माई के लाल” जैसे उद्बोधन का प्रयोग नहीं करेगा ।सपाक्स में यह सीधी चेतावनी दोनों दलो को दी है ।अब देखना यह है कि भाजपा या कांग्रेस इस मामले में क्या कदम उठाते हैं