Bhopal Desk
कांग्रेस सांसद (congress mp) और पूर्व मुख्यमंत्री (former chief minister) दिग्विजय सिंह (digvijay singh) ने कांग्रेस से बीजेपी (bjp) में गए राज्य सभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) पर करारा व्यंग कसा है। उनका कहना है कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि कांग्रेस में महाराज कहे जाने वाले सिंधिया (scindia) बीजेपी में जाते ही साल भर के भीतर भाई साहब हो गए। दिग्विजय भिंड जिले के गोहद में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
दरअसल राजा (digvijay) और महाराजा (scindia) के बीच तकरार कोई नई नहीं। स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (madhav rao scindia) और दिग्विजय सिंह के बीच मतभेद भी जग जाहिर रहे हैं। ज्योतिरादित्य के राजनीति में आने के बाद कांग्रेस के भीतर रहते हुए भी दोनों के मतभेद सार्वजनिक रूप से कई बार उजागर हुए। इतना ही नहीं, ग्वालियर चंबल अंचल जो सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है, वहां भी दिग्विजय समर्थकों की अच्छी खासी तादात ने हमेशा सिंधिया (scindia) की परेशानियां बनाई है। सिंधिया (scindia) समर्थक मानते हैं कि ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ने की बड़ी वजह दिग्विजय सिंह रहे। तात्कालिक कारण के रूप में यह सही भी इसलिए है क्योंकि राज्यसभा सीट के लिए नंबर वन पर कौन कांग्रेस का प्रत्याशी होगा, यह सिंधिया (scindia) के कांग्रेस छोड़ने का मूल कारण रहा। आज भी दिग्विजय गाहे-बगाहे सिंधिया (scindia) पर चुटकी लेने का कोई मौका नहीं छोड़ते। राज्यसभा में उन्होंने सिंधिया (scindia) के भाषण के बाद व्यंगात्मक लहजे में सिंधिया (scindia) को बधाई देते हुए कहा था कि आप जितना अच्छी तरह से कांग्रेस का पक्ष रखते थे उतनी अच्छी तरह से ही मोदी सरकार का पक्ष रखा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) को लेकर राहुल गांधी (rahul gandhi) भी पिछले दिनों कह चुके हैं कि यदि वे कांग्रेस में रहते तो भविष्य के मुख्यमंत्री होते, आज वहां कार्यकर्ता बनकर रह गए हैं। इस पर पलटवार करते हुए सिंधिया (scindia) ने कहा था कि यह बात उन्हें पहले याद क्यों नहीं आई जब मैं कांग्रेस में था।
दरअसल सिंधिया (scindia) को राज्यसभा सदस्य बने हुए काफी वक्त हो गया है और जैसा उन्हें व समर्थकों को उम्मीद थी कि उन्हें तत्काल केंद्रीय मंत्री बना दिया जाएगा, इंतजार कुछ लंबा ज्यादा ही होता जा रहा है और यही वजह है कि कांग्रेस को गाहे बगाहे इस पूरे मुद्दे पर चुटकी या लेने का अवसर मिल ही जाता है।