भोपाल।
पिछले लंबे समय से मध्य प्रदेश (madhya pradesh) की राजनीति (politics) में हाशिए पर चल रहे कांग्रेस (congress) के राष्ट्रीय महासचिव (general secretary) ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) को मनाने की कवायद तेज हो गई है। दरअसल मध्य प्रदेश में जिस तरह का सियासी ड्रामे चल रहा है, जिसके चलते सरकार पर संकट के बादल गहरा रहे हैं, उसमें अब सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
सिंधिया समर्थक लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए ।लेकिन उनके विरोधी इसका पुरजोर विरोध करते रहे हैं। संगठन और सरकार दोनों की जिम्मेदारी संभाल रहे कमलनाथ (kamalnath) को अब लगने लगा है कि एक पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बेहद जरूरी है और ऐसे में सिंधिया गुट की संतुष्टि के लिए हो सकता है कि सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की घोषणा हो जाए ।
इसी के साथ सिंधिया समर्थकों का यह भी कहना है कि उन्हें राज्यसभा में भी भेजा जाना चाहिए। लेकिन राज्यसभा की एक सीट दूसरे राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह (digvijay singh) के कार्यकाल खत्म होने के कारण खाली हो रही है और दिग्विजय सिंह दोबारा भी इस पद के दावेदार है। हालांकि कांग्रेस को उम्मीद है कि उसे दो सीटें मिलेंगी लेकिन जो भी उम्मीदवार होगा वह पहली सीट लेना इसलिए चाहेगा क्योंकि उस पर जीत सुरक्षित और पक्की है। इसलिए सिंधिया को राज्यसभा (rajyasabha) की सीट दिया जाना बेहद मुश्किल लगता है ।
उम्मीद इस बात की ज्यादा है कि दिग्विजय सिंह के साथ साथ किसी आदिवासी को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाए लेकिन क्या सिंधिया अकेले प्रदेश अध्यक्ष पद से मानेंगे ,यह देखने वाली बात होगी ।सूत्रों की मानें तो गेद अब पूरी तरह से सिंधिया के पाले में है और अगर कुछ अनहोनी हुई तो उनके सामने सारे विकल्प खुले हैं