भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिवराज सरकार ने अपना एक और फैसला बदल दिया है। मध्यप्रदेश (madhyapradesh) में अब केवल आईपीएस (IPS) ही एसपी (SP) बनेंगे। राज्य पुलिस सेवा के प्रमोट (Promote) हुए अफसरों को अब एसपी नहीं बनाया जाएगा। यह निर्णय मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj government) ने लिया है। जिस पर आगे की तैयारियां शुरू कर दी गई है। इस मामले में राज्य सरकार ने आईपीएस अफसरों के कैडर रिव्यू (Cadre review) का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है।
दरअसल मध्य प्रदेश सरकार की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू (EOW) और लोकायुक्त (Lokayukt) में अब किसी भी प्रमोट किए गए अफसर को एसपी के रूप में पदस्थ नहीं किया जाएगा। भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अब इन पदों पर पदस्थ किए जाएंगे। जिसके लिए कैडर रिव्यू का प्रस्ताव गृह मंत्रालय भेजा गया है। इस मामले में अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा (Rajesh Rajoura) का कहना है कि केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। जनवरी के अंतिम सप्ताह तक मंजूर होने की संभावना है। इसके साथ ही कुछ नए पद की मांग की गई है। वहीं ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त के लिए एसपी की कैडर पोस्ट की मांग की गई है।
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ज्ञात हो कि आईपीएस अधिकारियों की कैडर रिव्यू में कुल 166 पद हैं। जिनमें 40 नई पोस्ट की मांग की गई है। इसके साथ ही 5 पोस्ट को पूरी तरह से गौण कर दिया गया है। जिसमें स्पेशल डीजी पुलिस ट्रेनिंग मुख्यालय, आईजी पीटीआरआई, आईजी जेएनपीए सागर और आईजी आरएपीटीसी इंदौर सहित आईजी होमगार्ड जबलपुर शामिल है। कैडर रिव्यू में जिन पदों की मांग की गई उसमें स्पेशल डीजी के 2 पद, एडीजी के 8 पद, आईजी के एक पद, डीआईजी के 8 पद शामिल है।
गौरतलब हो कि मध्यप्रदेश में 2003 से पूर्व आईपीएस पुलिस अधीक्षक बनाया जाते थे लेकिन बीजेपी सरकार ने आते ही राज्य पुलिस सेवा के प्रमोटरों को एसपी बनाकर जिलों की कमान देनी शुरू की थी। अब एक बार फिर बीजेपी सरकार इस व्यवस्था को बदलने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि ये बदलाव आयकर छापे में सामने आए प्रमोट अधिकारी के खिलाफ सबूत के बाद की जा रही है।