भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। शिवराज सरकार (shivraj government) के सत्ता में वापसी के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) और बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी गठन को लेकर चर्चा तेज थी। हालांकि मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर दिया गया। साथ ही बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन हो चूका है। जिसके बाद शिवराज सरकार पार्टी के असंतुष्ट सांसद-विधायकों (MLA) को एडजस्ट की तैयारी में है। इसके लिए तैयारियां की जा रही है।
दरअसल पार्टी के असंतुष्ट सांसद और विधायकों को मंत्री का दर्जा देने के लिए शिवराज सरकार ने प्रदेश सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश 2020 लागू किया है। वहीं बैंकों के अध्यक्ष को कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा देने की भी तैयारी की गई है। इसके लिए सांसद और विधायकों को पहले बैंक की प्राथमिक सदस्यता लेनी होगी। इसके बाद निर्वाचन के जरिए वह अध्यक्ष बन सकेंगे।
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दरअसल कॉपरेटिव बैंक (co-operative bank) की प्राथमिक सदस्यता लेने के बाद विधायक और सांसद उसके ऋणी और अऋणी सदस्य बन सकेंगे। अध्यक्षों की नियुक्ति बैंक के निर्वाचन के बाद ही की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने सहकारी अधिनियम में संशोधन कर प्रशासक की सहायता के लिए 5 सदस्य समिति का भी गठन किया है।
बता दें कि प्रदेश में 38 जिला सहकारी बैंक है। जिनमें से कुछ सहकारी बैंकों में अध्यक्ष पहले से पदस्थ है। हालांकि इनका कार्यकाल 6 महीने से डेढ़ साल तक रह गया है। इसको देखते हुए सरकार ने सहकारी एक्ट में संशोधन कर प्रदेश के सांसद और विधायकों को 34 जिला सहकारी बैंक, अप्रेक्स बैंक सहित सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष बनाने नीति तैयार की है। इन बैंकों के चुने हुए अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री और राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाएगा।
बता दे कि पिछले साल मध्य प्रदेश की सियासत में आई भूचाल के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया (jyotiraditya scindia) सहित प्रदेश के कई मंत्री अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसके बाद प्रदेश में कमलनाथ (kamalnath) की सरकार गिर गई थी। वहीं प्रदेश के 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव (by-election) करवाए गए। इन 28 सीटों में से 19 सीट जीतकर बीजेपी (bjp) मध्यप्रदेश में अपनी सरकार स्थायित्व कर ली थी।
बावजूद इसके मंत्रिमंडल के विस्तार में चुने हुए विधायकों में से सिर्फ दो, तुलसीराम सिलावट (tulsi silawat) और गोविन्द सिंह राजपूत (govind rajput) को जगह दी गई थी। वही बाकी के अन्य सांसद और विधायकों को मंत्री पद का इंतजार है। वही उपचुनाव में हारे हुए नेताओं जैसे इमरती देवी (imarti devi) को भी मंत्री का दर्जा दिया जा सकता है। इसके साथ ही बीजेपी के कई ऐसे सीनियर विधायक हैं जो न तो मंत्री बन सके ना ही उन्हें संगठन में जगह मिली है।
माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद प्रदेश कार्यकारिणी में बीजेपी इन विधायकों और सीनियर नेताओं को एडजस्ट करेगी लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी का भी गठन कर दिया गया। इसके बाद अब शिवराज सरकार ने पार्टी के असंतोष चेहरे को एक बार फिर से संतुष्ट करने के लिए उन्हें को-ऑपरेटिव बैंकों में अध्यक्ष नियुक्त कर राज्यमंत्री का दर्जा देने की तैयारी पूरी कर ली है।