भोपाल।
मध्य प्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस समय पूरी तरह से कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए समर्पित है, उनकी प्राथमिकता इस समय कोरोना के बढ़ते प्रभाव को मध्यप्रदेश में फैलने से रोकना और प्रदेश के निवासियों को किसी भी तरह की अव्यवस्था ना होने देना है। मंत्रिमंडल के विस्तार की भी सुगबुगाहट तेज हो गई हैं, लेकिन जिस तरह से बातें सामने आ रही है, उससे लगता नहीं कि मंत्रिमंडल का गठन करना शिवराज के लिए बहुत आसान काम होगा।
दरअसल सिंधिया समर्थक 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और इनका इस बार भी मंत्री बनना तय है इनमें इमरती देवी सुमन प्रद्युम्न सिंह तोमर महेंद्र सिसोदिया गोविंद सिंह राजपूत तुलसीराम सिलावट और प्रभु राम चौधरी शामिल है इसके अलावा बिसाहू लाल सिंह इंदल सिंह कंसाना हरदीप सिंह डंग और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी मंत्री बनने की शर्त पर ही भाजपा में शामिल हुए हैं यानी मंत्रिमंडल के संभावित 28 मंत्रियों में से पहले 10 स्थान तो सिंधिया समर्थकों के लिए रिजर्व हो गए।
अब बीजेपी के अंदर ही इतनी बड़ी लिस्ट है कि मंत्रिमंडल की तय सीमा 35 से कई ज्यादा दावेदार इस समय बीजेपी में मौजूद है इनमें डॉ नरोत्तम मिश्रा राजेंद्र शुक्ला,अरविंद भदोरिया यशोधरा राजे सिंधिया ,प्रदीप लारिया शैलेंद्र जैन भूपेंद्र सिंह गोपाल भार्गव बृजेंद्र प्रताप सिंह जुगल किशोर बागड़ी नारायण त्रिपाठी गिरीश गौतम केदारनाथ शुक्ला, संजय पाठक अजय विश्नोई कमल पटेल डॉ सीताशरण शर्मा सुरेंद्र पटवा करण सिंह वर्मा गायत्री राजे पवार नीना वर्मा, रमेश मेंदोला महेंद्र हार्डिया मालिनी गौड़ पारस चंद्र जैन डॉ मोहन यादव यशपाल सिसोदिया, जगदीश देवड़ा और ओमप्रकाश सकलेचा जैसे नाम शामिल है।
इसके अलावा बसपा के संजू कुशवाह और रामबाई तथा सपा के राजेश शुक्ला भी मंत्री बनने की आशा में ही बीजेपी का समर्थन कर बैठे हैं। चार निर्दलीय भी बीजेपी को इसलिए समर्थन दे रहे हैं कि वह उन्हें मंत्री बना दे, ऐसे में शिवराज सिंह चौहान किसी मंत्रिमंडल में रखेंगे और किसी छोड़ेंगे। यह अपने आप में देखने वाली बात होगी और जो लोग मंत्रिमंडल के बाहर रह जाएंगे ।वह एक बार फिर असंतोष का कारण बनेंगे इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।