शिवपुरी, मोनू प्रधान। लुकवासा पिछले दिनों हुई लगातार बारिश से सोयाबीन सहित अन्य फसलों में रोग लगना शुरूहो गए। सोयाबीन सहित उड़द में इल्ली का प्रकोप हो जाने से अब किसान को फसल बबा्रद होने का खतरा सताने लगा। सोयाबीन में लगी फली व तने में इल्ली लगने से वो पौधे को सुखाने तथा फली को खोखला करने लगी। कृषि वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि लगातार बारिश से रोग प्रतिरोधक दवा का असर उतना नहीं हुआ, इसलिए इल्ली का प्रकोप तेज हो गया।
गौरतलब है कि इस बार सावन जहा सूखा निकल गया, वहीं भादौ में बारिश ने जो रफ्तर पकड़ी तो एक ही माह में बारिश अगला-पिछला आंकड़ा बराबर कर दिया। इससे गर्मी का अहसास भले ही कम हो गया, लेकिन लगातार हुई बारिश से फसलों को खतरा बढ़ गया। क्यांकि लगातार बारिश के चलते किसान अपनी फसलों में इल्ली मारक सहित अन्य रोग प्रतिरोधक दवाओं का छिडक़ाव नहीं कर पाया और जो दवा उसने पहले डाली थी, वो भी बारिश के चलते जल्दी पौधों से दूर होकर पानी के साथ बह गई। बारिश रुकते ही सोयाबीन सहित उड़द की फसल पर इल्ली ने अटैक कर दिया। इल्ली फसल में न केवल तेजी से फैल रही है। बल्कि उतनी ही रफ्तार में वो फसल को नुकसान भी पहुंचा रही है। किसानों को अब यह डर सताने लगा है कि कहीं उनकी पूरी फसल को ही इल्ली बर्बाद न कर दे। क्येांकि उसका फैलाव बहुत तेजी से हो रहा है।
इसलिए प्रकोप हुआ अधिक
कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि सोयाबीन में तीन बार दवा का छिडक़ाव होता है, लेकिन इस बार लगातार हो रही बारिश के चलते यह क्रम टूट गया और किसान ने पहली दवा ही देर से डाली थी। दवा डालने के साथ ही बारिश शुरू हो गई तो उसका असर भी अधिक नहीं हो पाया। इसके बाद लगातार बारिश होने की वजह से किसान दवा का छिडक़ाव नहीं कर पाया और इस देरी के चलते इल्ली ने अटैक कर दिया।
किसानों का दर्द
फली टूटकर गिर रही है, पूरी फसल में इल्ली लग गईहै। इस बार समय पर दवाई नहीं डाल पाए, क्योंकि पानी बरसता रहा। अब पूरी फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है। मनोज रघुवंशी, कृषक ग्राम अटरूनी सोयाबीन व उड़द दोनों में ही इल्ली अधिक नुकसान कर रही है। फली तो लग रही है, लेकिन उसकी हवा निकली हुई है। तना कटने से पौधे सूख रहे हैं ओर पत्तियां पीली पडऩे लगीं। – प्रदीप रघुवंशी, कृषक लुकवासा
फसल बचाने यह करें उपाय
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एमके भार्गव ने बताया कि सोयाबीन में लेम्डा सायहेलोििथ्रन या इंडोब्जाकार्ब 300 से 350 मिली दवा, 500 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर के मन से छिडक़ाव करें। बरसात का मौसम है इसलिए चिपकाने वाला पदार्थ भी मिला लें। यदि पत्ते पीले हो रहे हैं या सूख रहे हैं, तो उसको बचाने के लिए टेबूकोना झोल व सल्फर, एक किग्रा, 500 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर में छिडक़ाव करें।