मां महिषासुर मर्दिनी देवी के नाम से प्रसिद्ध मंदिर बना आस्था का केंद्र, तीनों पहर बदलता है माता का रूप

मंदसौर, राकेश धनोतिया। नवरात्रि का खास मौका है और भक्त माँ की आराधना में डूबे है। वही पूरे मंदसौर जिले में भी माता की आराधना जोरों पर है, शामगढ़ नगर में भी अति प्राचीन मां महिषासुर मर्दिनी देवी का मंदिर है जो कि अपने आप में अद्भुत अलौकिक चमत्कारिक एवं जन आस्था का केंद्र है किवंदती के अनुसार नवरात्रि में माता की प्रतिमा को ध्यान से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि सुबह दोपहर एवं संध्या के समय माता की मुख मुद्रा में अलग अलग छवि दिखाई देती हैं।

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माँ के इस अद्भुत रूप में जहां सुबह एक बालिका के रूप में माता दर्शन देती हैं वहीं दोपहर में एक पूर्ण यौवन (युवा) मुख नजर आता है वही शाम होते होते वह मुख एक वृद्धा अवस्था में दिखाई देने लगता है वही आज माता का कालरात्रि के अवसर पर विशेष शृंगार किया गया मां के दरबार में जो भी कामना लेकर आता है वह पूरी होती हैं माना जाता है कि यह मंदिर 400 वर्ष से अधिक पुराना है, विक्रम संवत 1623 में रामपुरा से राजपूत सरदार शाम सिंह अपने परिवार के साथ यहां आकर ऊंची टीले नुमा पहाड़ी पर आकर बसे थे, श्याम सिंह ने इसी स्थान पर अपना गढ़ बना कर अपने नाम से इस स्थान का नाम शयामगढ़ रखा जो आज शामगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है वर्ष 1996 में वैध बालाराम चौहान ने इस मंदिर का विकास करवाया एवं समिति का गठन कराया यह मंदिर मंदिर कांच के मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है, नवरात्रि के पहले दिन नगर परिषद शामगढ़ के द्वारा ही माता जी का विशेष श्रृंगार एवं चोला चढ़ाया जाता है नगर परिषद शामगढ़ प्रति वर्ष अक्षय तृतीया के अवसर पर मां के नाम से एक विशाल पशु मेला आयोजित करती हैं, नवरात्रि के अवसर पर माता जी के मंदिर पर विशेष श्रृंगार एवं प्रत्येक दिन मंदिर की रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है नवरात्रि में रामनवमी के दिन शाम को महाआरती के पश्चात यहां पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।


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Harpreet Kaur