कोरोना से हुई मौतों का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, जनहित याचिका दाखिल

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना संक्रमण (Corona Infection) से हुई मौतों का मामला अब हाईकोर्ट (High court) पहुंच गया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एडवोकेट उमेश बोहरे ने एक जनहित याचिका दायर की है।  याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण से हुई मौतों की जानकारी कोर्ट में पेश करे और उसे जिलेवार बताये।  मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए और अंतरिम राहत के तौर पर उन्हें पांच पांच लाख रुपए दिए जाएं। जनहित याचिका में कोरोना से मृत व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण कोरोना भी लिखने की मांग की गई है।

कोरोना संक्रमण को लेकर हुई मौतों के आंकड़ों को लेकर लगातार राजनीति हो रही है मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस शिवराज सरकार पर मौत के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाते हुए हमलावर है। इस बीच अब ये मामला हाईकोर्ट पहुँच गया है।  मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एडवोकेट उमेश बोहरे ने एक जनहित याचिका दाखिल की है।

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जनहित याचिका में एडवोकेट उमेश बोहरे ने मांग की है कि मध्यप्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण से हुई मौतों की जानकारी कोर्ट में पेश करे और उसे जिलेवार बताये कि किस जिले में कोरोना से कितनी मौत हुई।  कोरोना में जान गंवाने वाले  मृतकों के परिजनों को 15-15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए और अंतरिम राहत के तौर पर उन्हें पांच पांच लाख रुपए दिए जाएं।

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जनहित याचिका में कोरोना से मृत व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण कोरोना भी लिखने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता  ने कहा है कि परिजन की मृत्यु के बाद लोग मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परेशान हो रहे हैं उस पर मौत का कारण नहीं लिखा जा रहा है। जिससे लोग भविष्य में सरकारी योजनाओं का लाभ रहने से वंचित रह सकते हैं।  जनहित याचिका में एडवोकेट उमेश बोहरे ने मध्यप्रदेश के सभी जिलों में ऑक्सीजन प्लांट शुरू करने की भी मांग की है जिससे भविष्य में मरीजों के लिए ऑक्सीजन के लिए परेशान ना होना पड़े।

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जनहित याचिका में एडवोकेट उमेश बोहरे ने आरोप लगाया कि कोरोना मरीज को होने वाले ब्लैक फंगस बीमारी का कारण इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन है जिसे बिना टेस्ट किये सीधे मरीजों को दे दिया इस मामले की जांच होनी चाहिए।  एडवोकेट बोहरे ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में पेश कर दी है जिसपर एक या दो दिन में सुनवाई होने की उम्मीद है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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