ग्वालियर , अतुल सक्सेना। देश की आजादी (Independence) में प्रमुख भूमिका निभाने वाले ऐतिहासिक शहर ग्वालियर (Gwalior) को वीरांगना लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai ) के शौर्य को देखने का सौभाग्य मिला है। रानी के अलावा सरदार भगत सिंह (Bhagat Singh), चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) जैसे रणबांकुरों के अज्ञात वास और शरण स्थली बनकर भी ग्वालियर(Gwalior) ने इतिहास के सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराया है। इसके साथ साथ आज ग्वालियर (Gwalior) की शान बढ़ा रहा है यहाँ निर्मित देश का गौरव राष्ट्रध्वज (National flag)तिरंगा। ग्वालियर(Gwalior) देश का तीसरा और उत्तर भारत का इकलौता शहर है जहाँ भारत सरकार की झंडा संहिता का पालन करते हुए अधिकृत रूप से राष्ट्रध्वज (National flag) का निर्माण किया जाता है।
भारत की आन ,बान और शान राष्ट्रध्वज (National flag) तिरंगा कल 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर लाल किले की प्राचीर से लेकर, मंत्रालय, सचिवालय, न्यायालय सहित सभी शासकीय इमारतों पर फहराया जाएगा। देश के साथ ग्वालियर (Gwalior) के लिए ये दिन विशेष गौरव का दिन होगा क्योंकि जिन जगहों पर राष्ट्रध्वज (National flag)तिरंगा फहराया जाएगा उसमें से बहुत सी जगह मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर (Madhya Bharat Khadi Sangh Gwalior) द्वारा तैयार राष्ट्रध्वज (National flag) देश की शान बनेगा।
देश में केवल तीन जगह तैयार होता है राष्ट्रध्वज
1924 में महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के चरखा आंदोलन से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री तखतमल जैन द्वारा 1930 में स्थापित मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर (Madhya Bharat Khadi Sangh Gwalior) पिछले चार साल से राष्ट्रध्वज (National flag) का निर्माण कर रहा है। खादी संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेसी नेता वासुदेव शर्मा ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया कि पहले हम राष्ट्रध्वज (National flag)के लिए कपड़ा बनाते थे और मुंबई और हुबली (कर्नाटक) को देते थे क्योंकि राष्ट्रध्वज (National flag) के लिए हम जो कपड़ा बनाते हैं वैसा कपड़ा कोई और नहीं बनाता है ये दावा है। हम जब राष्ट्रध्वज (National flag) के लिए इन दोनों केंद्रों से कपड़ा मंगाते थे तो ये हमें महंगे दामों में देते थे उसके बाडी हमने निश्चय किया कि हम खुद राष्ट्रध्वज (National flag) बनाएंगे. फिर इसकी अनुमति लेने के प्रयास हुए, 16 जगहों से गुजरना पड़ा और हमें सफलता मिल गई। हमें ISI और मार्का मिल गया और मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर देश का तीसरा और मध्यप्रदेश का इकलौता ऐसा केंद्र बन गया जहाँ राष्ट्रध्वज (National flag) तिरंगे के लिए सूत कातने से लेकर इसके निर्माण तक की पूरी प्रक्रिया होती है।
मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर 3 साइज में तैयार करता है राष्ट्रध्वज
मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर में ISI प्रमाणित तीन साइज के तिरंगे तैयार किए जाते हैं, जिनमें 2 बाई 3 फीट, 6 बाई 4 फीट और 3 बाई साढ़े 4 फीट के झंडे शामिल है. राष्ट्रध्वज (National flag) बनाने के लिए झंडा संहिता के मानकों का ख्याल रखना होता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी,रंग और चक्र का साइज बहुत जरूरी है उसके बाद खादी संघ जिले में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है, कुल 9 मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रध्वज तैयार किए जाते हैं।
कोरोना का असर भी हुआ है राष्ट्रध्वज की बिक्री में
मध्यभारत खादी संघ के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी का असर मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर (Madhya Bharat Khadi Sangh Gwalior) को भी झेलना पड़ा, राष्ट्रध्वज (National flag) की बिक्री पर बहुत असर हुआ लेकिन हमने अपने बुनकर को निकाला नहीं उलटा उसे घर बैठे ही वेतन दिया। आज 300 परिवार मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर (Madhya Bharat Khadi Sangh Gwalior) द्वारा दिए जा रहे रोजगार से अपना भरण पोषण कर रहे हैं। वासुदेव शर्मा ने बताया कि जहाँ 90 लाख रुपये से ज्यादा के राष्ट्रध्वज बेचे थे वहीँ इस साल बिक्री 60 – 65 लाख रुपये के आसपास रहने की उम्मीद है यानि 25 से 30 लाख रुपये के नुकसान का अनुमान है।
बहरहाल कोरोना (Corona) महामारी ने भले ही देश, व्यापार ,रोजगार और अर्थव्यवस्था को कितना भी नुकसान क्यों ना पहुंचाया हो लेकिन भारत वो देश है जहाँ के लोगों के लिए देशप्रेम और छोटी सी ख़ुशी बहुत बड़ी चीज है , इसका प्रमाण हमें 26 जनवरी को तब एक बार फिर मिल जाएगा जब हमारे देश का गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा शान से फहराएगा। और उसे देखकर मध्यप्रदेश खासकर ग्वालियरवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।