नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट।उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का तीसरे दिन सर्वे का समाप्त हो गया है। सुबह 8 बजे एडवोकेट कमिश्ननर विशाल सिंह के नेतृत्व में वादी-प्रतिवादी पक्ष के 58 लोगों की टीम ने सुबह 8 बजे परिसर में प्रवेश किया था।
सर्वे के बाद हिन्दू पक्ष के वकील ने बड़ा दावा करते हुए बताया कि सर्वे के दौरान कुएं में शिवलिंग मिला है। उन्होंने आगे कहां कि वह शिवलिंग की प्रोटेक्शन (सुरक्षा) लेने कोर्ट जा रहे है।
इससे पहले सर्वे के दौरान ज्ञानवापी सर्वे की टीम से एक सदस्य आरपी सिंह को हटा दिया गया। आरपी सिंह पर यह कार्रवाई सर्वे की बातें साझा करने के कारण की गई है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त हिदायत थी कि इस संवेदनशील मामले पर सर्वे से टीम से कोई भी सदस्य आमजन के बीच कोई बयान नहीं देगा।
सोमवार को परिसर की 20% वीडियोग्राफी की जानी थी। दो दिन में 80% हो चुकी थी।
फिलहाल, किसी अनहोनी को टालने के लिए चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात है और ज्ञानवापी से 500 मीटर की गोलाई में कोई भी दुकान खोलने की अनुमति नहीं है। इस दायरे के अंदर पब्लिक की भी एंट्री बैन है। पहले दिन सुरक्षा 10 लेयर की थी जो दूसरी दिन 12 लेयर की कर दी गई और आज 16 लेयर की सुरक्षा है।
क्या है ज्ञानवापी मामला?
अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद के बाद, वाराणसी की प्रसिद्ध ज्ञानवापी मस्जिद ने उस समय सुर्खियां बटोरी जब एक याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने 16वीं शताब्दी में एक मंदिर को तोड़कर किया था। याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा परिसर के विस्तृत सर्वेक्षण की मांग की।
सर्वेक्षण के कदम को तर्क के दोनों पक्षों से कड़ी प्रतिक्रिया मिली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 मई, 2022) को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण पर यथास्थिति का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया और कहा कि सर्वेक्षण को एक वीडियो में टेप किया जाएगा।
आपको बता दे, दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की, जहां उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान बताकर ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति की मांग की थी और साथ ही परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा के लिए सर्वे कराने की बात भी कही थी।
हालांकि, मुस्लिम पक्ष को शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन विवाद उस वक्त पैदा हो गया जब पूरे परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने की मांग उठी। इसी बात का विरोध वाराणसी कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कर रहे हैं और उधर एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी एक बड़ा बयान दे चुके है, जहां उन्होंने कहा है कि एक मस्जिद हम खो चुके है, दूसरी नहीं खोने देंगे।