छतरपुर : दो होनहार छात्राओं ने दिन भर एसडीएम के साथ देखी प्रशासनिक गतिविधियां

छतरपुर, संजय अवस्थी। गरीब परिवारों से जुड़ी बालिकाएं बुन्देलखण्ड में या तो पढ़ाई छोड़ देती हैं या फिर तमाम मुश्किलों से जूझती हुईं आगे बढ़ती हैं। चूंकि इन परिवारों को कोई गाइड करने वाला नहीं होता इसलिए अक्सर समस्याएं सामने आती हैं। छतरपुर एसडीएम प्रियांशी भंवर ने एक नया प्रयास शुरू किया है। तेजस्वनी नाम से व्यवस्था शुरू की। इस व्यवस्था के तहत उन्होंने गोद लिए गहरवार स्कूल की दो होनहार छात्राओं को पूरा दिन अपने साथ रखकर प्रशासनिक गतिविधियों से अवगत कराया और इसके बाद उनका फीडबैक भी लिया।

कलेक्टर ने जिले के स्कूलों को किसी न किसी अधिकारियों के हवाले किया है, ताकि वे स्कूलों की व्यवस्थाएं देखें और वहां की समस्याओं को अपने स्तर पर हल करें। छतरपुर एसडीएम प्रियांशी भंवर ने नई व्यवस्था शुरू की है। तेजस्विनी नाम से इस व्यवस्था को शुरू कर वे इसके माध्यम से छात्राओं को एसडीएम की कार्यप्रणाली से अवगत कराने की कोशिश कर रही हैं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।