बेहद तंगी के बावजूद अपनी मेहनत से रचा इतिहास, पिता के निधन पर घर भी नही जा पाई थी महिला हॉकी स्टार वंदना कटारिया

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दिल्ली ,डेस्क रिपोर्ट। टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया, महिला हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सेमीफाईनल में अपनी जगह बना ली। एक से एक बेहतरीन खिलाड़ियों से सजी भारतीय हॉकी टीम की जिस खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा न सिर्फ ध्यान खींचा बल्कि इतिहास भी रच दिया ,वो है वंदना कटारिया । एक ऐसी खिलाड़ी के रूप में टोक्यो ओलंपिक्स में वंदना उभरी जिसने तंगी के बावजूद अपनी मेहनत के बलबूते पर पूरी दुनिया के हॉकी प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना ली। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब इस चमकते सितारे के पास अपनी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। यहां तक की  यह हॉकी स्टिक और जूते नहीं खरीद पाती थी।

वंदना के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी। 2004 से 2010 तक लखनऊ स्पोर्ट्स हास्टल में रहकर वंदना ने अपने खेल को निखारा। आलम यह था कि छुट्टियों में भी वंदना घर नही जाती थी दिनरात प्रैक्टिस कर अपने खेल को निखारने की कोशिश में लगी रहती थी। इसी का नतीजा सामने आया और वंदना ने ओलिंपिक में गोल की हैट्रिक करके इतिहास बना दिया। वह पहली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिसने ओलिंपिक में एक ही मैच में तीन गोल मारे है।


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Harpreet Kaur