भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। वार्ड आरक्षण(Ward reservation) को लेकर प्रदेश के बीजेपी सरकार(BJP Government) ने पूर्व की कमलनाथ(Kamalnath) सरकार के एक फैसले को पलट दिया है। जिसके बाद अब अप्रत्यक्ष प्रणाली से नगर निगम चुनाव के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष चुनने की आजादी नहीं होगी। इसके साथ ही जारी अध्यादेश के मुताबिक अब निकायों का वार्ड परिसीमन चुनाव(Ward delimitation election)के 2 महीने के बजाय 6 महीने पहले करने का निर्णय लिया गया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व की कमलनाथ सरकार के इस फैसले को पलट दिया है।जिसमे उन्होंने अप्रत्यक्ष प्रणाली को मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद अब अधिनियम में संशोधन कर अध्यादेश जारी किया गया है।
दरअसल प्रदेश की बीजेपी सरकार ने महापौर के चुनाव को प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने और वार्ड परिसीमन चुनाव के 6 महीने पूर्व कराने को लेकर पहले ही विधेयक तैयार कर लिया था। जिसके बाद अब इस अध्यादेश को मंजूरी मिल गई है। माना यह भी जा रहा है कि प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के बाद नगर निकाय चुनाव संभावित है। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश जारी किया है। प्रदेश में अभी 16 नगर निगम हैं। जिनमें महापौर का कार्यकाल कब समाप्त हो चुका है। इससे पहले निकाय चुनाव के छह माह पूर्व वार्ड परिसीमन करने का संशोधन अध्यादेश में शामिल किया गया।
बता दें कि मध्यप्रदेश में 1999 से महापौर का चुनाव सीधे जनता यानी प्रत्यक्ष प्रणाली से हो रहा था। जिस पर पूर्व की कमलनाथ सरकार ने आते ही संशोधन कर अप्रत्यक्ष प्रणाली को मंजूरी दे दी थी। इसके साथ ही एक्ट में बदलाव कर कहा गया था कि चुनाव में जीत कर आए पार्षद महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव कर सकते हैं। कमलनाथ सरकार के इस फैसले का बीजेपी ने जमकर विरोध भी किया था लेकिन सरकार ने अध्यादेश के जरिए व्यवस्था में बदलाव किया और फिर विधानसभा में नगर पालिका अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित कराकर 27 जनवरी को इसे लागू कर दिया था।अब इस पूरे फैसले को शिवराज सरकार ने पलट दिया है।