वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान, कहा – ‘बॉरोइंग कास्ट वाकई में ज्यादा है, बैंकों को लोन पर ब्याज दर कम करने की जरूरत’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसी न किसी वजह से मीडिया में चर्चा का विषय बनी रहती है। वहीं अब एक बार फिर वित्त मंत्री ने एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल उन्होंने कहा है कि बैंकों को ब्याज दरों में कमी करना चाहिए। इसके बाद सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर खूब चर्चा हो रही है। जानिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2024 में क्या कहा।

Rishabh Namdev
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान, कहा - 'बॉरोइंग कास्ट वाकई में ज्यादा है, बैंकों को लोन पर ब्याज दर कम करने की जरूरत'

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 18 नवंबर को एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2024 में एक बड़ा बयान दिया है। दरअसल वित्त मंत्री ने माना है कि बॉरोइंग कास्ट वाकई में ज्यादा है। इसे लेकर उन्होंने कहा है, कि ‘जब ऐसे समय में हम इंडस्ट्री को भी बढ़ावा देना चाहते हैं और हमें क्षमता निर्माण में भी बढ़ोतरी करनी है तो इसके लिए हमें ब्याज दरों को किफायती बनाना होगा।’ दरअसल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि ऐसे समय में बैंकों को लोन पर ब्याज दर कम करने की जरूरत है।

दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया यानी आरबीआई के इंटरेस्ट रेट रेट या रेपो रेट पर नजर डाली जाए तो RBI द्वारा पिछले 10 मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों को 6.50 परसेंट पर स्थिर रखा गया है। अक्टूबर में सेंट्रल बैंक द्वारा मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में अपनी रेटिंग को भी न्यूट्रल किया गया था

जानिए इन्फ्लेशन को लेकर वित्त मंत्री ने क्या कहा?

वहीं इस विषय पर पीयूष गोयल ने भी बड़ा बयान दिया था। दरअसल उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि, आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करना चाहिए। इसके साथ ही आरबीआई के गवर्नर शशिकांत डांस ने ग्लोबल लीडरशिप समिट में कहा था, कि दिसंबर की अपकमिंग मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में इसे रिजर्व रखा जाएगा। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन्फ्लेशन के मामले पर बोलते हुए कहा कि ‘तीन आइटम के चलते इन्फ्लेशन में बढ़त देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि भारत में कभी-कभी कमोडिटी की सप्लाई में कमी आती है। ऐसे में इस समस्या के जड़ तक पहुंचना मुश्किल होता है। कभी-कभी जरूरी चीजें जैसे टमाटर-प्याज-आलू की कमोडिटी की सप्लाई समस्या देश में बनी रहती है। इन कारणों से इनफ्लेशन में दबाव बनता है।

इन्फ्लेशन के आंकड़ों पर नजर डालें

दरअसल अक्टूबर महीने में इन्फ्लेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह 6.5% पर पहुंच गई है। जिससे साफ हो रहा है कि यह पिछले 14 महीने के उच्चतर स्तर पर पहुंच चुकी है। इससे पहले महीने में यह 5.5% थी। लेकिन इस महीने में बढ़कर यहां 6.2% पर आ चुकी है। जानकारी के मुताबिक रोजमर्रा की चीजें जैसे सब्जी या जरूरी सामान की कीमतें तेजी से बड़ी हैं। पिछले एक साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि, महंगाई रेट 6% के ऊपर पहुंच चुकी है। आंकड़ों की बात करें तो सब्जियों और तेल में अत्यधिक तेजी देखने को मिली है। सितंबर में अनाज जहां 6.84 परसेंट हुआ करता था वह अब अक्टूबर में 6.94 परसेंट पर पहुंच चुका है। जबकि फल और सब्जी में भी बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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