न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 से होंगे अर्थव्यवस्था में कई बदलाव, खत्म होगी धारा 80C, टैक्सपेयर्स जरूर जान लें ये 10 बातें

नया आयकर विधेयक के तहत कई बदलाव होंगे। वर्तमान अधिनियम के कई प्रावधानों को हटाया भी गया है। जल्द ही यह देशभर में लागू हो सकता है। इन बदलावों की जानकारी करदाताओं को होनी चाहिए।

Manisha Kumari Pandey
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नया आयकर विधेयक (New Income Tax Bill 2025) लोकसभा में पेश हो चुका है। इस बिल को आयकर अधिनियम 1961 से स्थान पर लागू किया है। जिससे अर्थव्यवस्था में कई बदलाव होंगे। जिसकी जानकारी टैक्सपेयर्स को होनी चाहिए। विधेयक से जुड़े कुछ सवालों का जवाब सरकार ने दिया है, FAQ जारी किया है।

न्यू इनकम टैक्स बिल में 2.6 लाख शब्द हैं। इसमें कुल 536 धाराएं शामिल हैं। अध्यायों को घटाकर 23 कर दिया गया है। कई प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। इतना ही नहीं सरकार ने वर्तमान आयकर अधिनियम के 300 से अधिक प्रवधानों को भी हटा दिया है। ताकि इसे समझना और लागू करना सरल हो सके।

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धारा 80सी होगी समाप्त

धारा 80सी के कर-बचत भत्ते को अध्याय VII के तहत खंड 123 में ट्रांसफर कर दिया गया है। जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। मतलब अब जीवन बीमा और भविष्य निधि  खंड 123 के अंतर्गत आएंगे। हालांकि इससे टैक्स कटौती खत्म नहीं होगी। बल्कि अलग-अलग कैटेगरी में बँटी होगी।

क्या है “कर वर्ष”?

नए विधेयक में “कर वर्ष (Tax Year)” शब्द जोड़ा गया है। यह एक वित्तीय वर्ष में निहित 12 महीनों की अवधि है। यह वर्तमान अधिनियम के “पिछले वर्ष” और “मूल्यांकन वर्ष” की जगह लेगा। इस इस्तेमाल आयकर दरों की गणना के लिए किया है। ताकि टैक्सपेयर्स को कोई भ्रम न हो।

आईटीआर को लेकर क्या बदलेगा?

नए विधेयक का खंड 263 (1)(ए)(ix) के तहत करदाताओं को निर्धारित नियत तारीख के भीतर अपना आईटीआर फ़ाइल करना होगा। यदि कोई व्यक्ति नियम तिथि खत्म होने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करता है तो उसे रिफ़ंड नहीं मिलेगा। विलंबित रिटर्न का प्रावधान नहीं है। वर्तमान में 31 दिसंबर तक विलंबित रिटर्न जमा करने पर रिफ़ंड के लिए क्लेम किया जा सकता है।

धारा 80जी से जुड़े बदलाव?

वर्तमान आयकर अधिनियम की धारा 80जी दान के लिए टैक्स कटौती प्रदान करती है, जो बिना किसी नीतिगत बदलाव के पात्र कटौतियों के प्रतिधत के आधार पर टैक्स डिडक्शन को स्पष्ट रूप से अलग करने के लिए बदला गया है, जो 100% और 50% है। इससे टैक्सपेयर्स को सही कटौती राशि की पहचान और क्लेम करने में आसानी होगी।

टीडीएस/टीसीएस से जुड़े बदलाव

नए विधेयक में टीडीएस/टीसीएस को सरलीकरण किया गया है। वर्तमान धारा 43 विभिन्न राशियों को निर्दिष्ट करती हैं, जो भुगतानकर्ता की स्थिति के आधार पर टीडीएस के लिए जिम्मेदारी है। साथ ही यह लागू मौद्रिक सीमाओं के अधीन होती है। स्त्रोत पर टैक्स कटौती होती है। इन सभी धाराओं को एक में मिला दिया गया है। नए विधेयक की धारा 393 में 3 तलिकाएं, जिसमें भुगतानकरता की तीन कैटेगरी है- निवासी, गैर निवासी और अन्य व्यक्ति। प्रत्येक कैटेगरी के लिए संबंधित तालिका, आय और राशि की प्रकृति, मौद्रिक सीमा, भुगतानकर्ता और टीडीएस की लागू को निर्दिष्ट किया जाएगा।

इन बदलावों को भी जान लें 

  • वर्तमान अधिनियम की धारा 10 के तहत पहले से स्वीकृत कटौती (ग्रेच्युटि, पेंशन का कम्यूटेशन, छुट्टी नकदीकरण, वीआरएस मुआवजा और छटटी मुआवजा) अब वेतन अध्याय का हिस्सा होंगे। वहीं एचआरए समेत कुछ भत्ते अनुसूची-II में शामिल किए गए हैं।
  • नए विधेयक में बजट में किए गए बदलावों जैसे की स्लैब दरों के परिवर्तन और इससे संबंधित छूट को भी शामिल किया गया है।
  • वर्तमान कर अधिनियम के 80TTA और 80TTB को एक प्रस्तावित धारा में मिलाया गया है। ये धराएं बचत खातों में अर्जित ब्याज पर टैक्स कटौती प्रदान करती हैं।
  • वर्तमान कर अधिनियम के धारा 11(1ए) के प्रवधानों को अनावश्यक मानते हुए हटा दिया गया है। इसके तहत पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन के उद्देश्य के लिए किसी परिसंपत्ति की अधिग्रहण लागत को आय का अनुप्रयोग माना जाता है।
  • नए विधेयक में घरेलू करदाताओं के लिए विशेष दरों से जुड़े प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन इसे आसान बनाया गया है। नई कर व्यवस्था एक अलग भाग होगी, जो व्यक्तिगत करदाताओं, सहकारी समितियों, घरेलू कंपनियों और अन्य पात्र करदाताओं के लिए कराधान की विशेष दर के लिए समर्पित होगा। प्रस्तावित विधेयक में विभिन्न विशेष प्रकार की इनकम को समूहीकृत करने के लिए तलिकाएं बनाई गई है।

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