जब भी कोई बैंक किया फाइनेंस कंपनी नियमों का सही से अनुपालन नहीं कर पाते हैं, तब रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने सख्त कार्रवाई करता है। 4 नवंबर को आरबीआई की बड़ी कार्रवाई सामने आई है। केंद्रीय बैंक ने महाराष्ट्र के तीन सहकारी बैंकों पर मौद्रिक जुर्माना लगाया है। सभी पर बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। इस सूची में एक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी भी शामिल है।
महाराष्ट्र के लातुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस पर केवाईसी और लोन दोनों से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। परभणी डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर 1.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वहीं द सतारा सहकारी बैंक लिमिटेड पर 2 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई है।

मार्च 2024 में तीनों बैंकों के वित्तीय स्थिति को देखने के लिए संवैधानिक इंस्पेक्शन किया गया था। जांच के रिपोर्ट में यह पाया गया कि ये बैंक कुछ नियमों का सही से अनुपालन नहीं कर रहे थे। जिसके बाद सभी को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया। नोटिस पर आए रिप्लाई और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दी गई प्रस्तुतियों को देखते हुए आरोपों की पुष्टि हुई। जिसके बाद पेनल्टी लगाने का फैसला लिया गया।
बैंकों ने तोड़े ये नियम (RBI Penalty)
लातुर लातुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने निदेशकों से संबंधित लोन स्वीकृत और रिन्यू किए हैं। इसके अलावा निर्धारित समय सीमा के भीतर ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड को सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड रजिस्ट्री पर भी अपलोड करने में भी विफल रहा।
परभणी डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने भी लोन से संबंधित लोन स्वीकृत किए हैं। इसके अलावा संदिग्ध लेनदेन की प्रभावी पहचान और रिपोर्टिंग के लिए जोखिम वर्गीकरण और ग्राहकों के अपडेटेड प्रोफाइल के साथ लेनदेन और असंगत होने पर अलर्ट देने के लिए मजबूत सॉफ्टवेयर स्थापित भी नहीं कर पाया।
द सतारा सहकारी बैंक लिमिटेड ने नियामक न्यूनतम से कम सीआरएआर के बावजूद शेयर पूंजी वापस कर दी। इसके अलावा कुछ मामलों में विवेकपूर्ण उधारकरता जोखिम सीमा का उल्लंघन भी किया।
इस कंपनी पर भी गिरी गाज
महाराष्ट्र में स्थित विवा होम फाइनेंस लिमिटेड, पालघर के खिलाफ भी आरबीआई ने सख्त कदम उठाया है। नियमों का अनुपालन न करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। कंपनी पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति के लिए आरबीआई ने पूर्व लिखित अनुमति प्राप्त करने में विफल रही। जिसके कारण कंपनी के स्वतंत्र निदेशकों को छोड़कर 30% से अधिक निदेशक बदले गए।










