नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। आरबीआई ने महंगाई के चलते बुधवार को एक बार फिर से रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने (Repo Rate) की घोषणा कर दी। अब रेपो रेट 0.50 फीसदी बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया है। यह करीब एक महीने के अंतराल में रेपो रेट में लगातार दूसरी बढ़ोतरी है। सोमवार से शुरू हुई आरबीआई की तीन दिवसीय मीटिंग समाप्त हो चुकी है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने मौद्रिक नीति समिति की जून बैठक (RBI MPC June Meet) के बाद रेपो रेट बढ़ाए जाने की जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा, “मुद्रास्फीति सहनशीलता के स्तर से बहुत अधिक बढ़ गई है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में रिकवरी की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है। हमारी अर्थव्यवस्था पर भू-राजनीतिक संकटों के प्रभाव को कम करने के लिए आरबीआई सक्रिय और निर्णायक बना रहेगा। हमारे कदमों को मापा जाएगा, और कैलिब्रेट किया जाएगा।”
लोन और ईएमआई होगी महंगी
यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो लोन महंगा हो जाता है। दरअसल, रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंक भी ज्यादातर ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही ईएमआई भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है।
देश में बेकाबू है महंगाई
देश में पिछले कुछ समय से महंगाई बेकाबू हो गई है, जब आरबीआई के पास कोई चारा नहीं बचा तब जा कर उसे ये अहम कदम उठाना पड़ा है। सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर 7.8 फीसदी रही थी। इसी तरह अप्रैल 2022 में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी।
इसका सबसे बड़ा कारण फूड इंफ्लेशन रहा है, जो मार्च के 7.68 फीसदी की तुलना में वृद्धि के साथ अप्रैल में 8.38 फीसदी पर पहुंच गई थी।