3 हजार रुपये से शुरू किया था काम, अब रोजाना कमाते हैं 60 हजार रुपये से अधिक, पढ़ें रविंद्र मेटकर की Success Story

शुरुआती दिनों में वह केमिस्ट की दुकान में काम करते थे, जहां उन्हें दिन के ₹5 मिलते थे। काम के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, लेकिन पैसों की कमी के कारण वह कॉलेज पैदल जाया करते थे।

Sanjucta Pandit
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Ravindra Metkar Success Story : कहते हैं मेहनत करने वालों को कभी असफलता हाथ नहीं लगती। जिनके मन में पॉजिटिव एनर्जी होती है और जिनको अपना लक्ष्य पता होता है, वह उसे पाने के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। उनके लिए यह महत्व नहीं रखता की कौन उनके साथ है और कौन नहीं है। हालांकि, इस रास्ते में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलता है, लेकिन उसके बावजूद अपने रास्ते पर चलते जाना और मेहनत करना ही सफल इंसान की पहचान होती है। ऐसी ही सक्सेस स्टोरी आज हम आपको रविंद्र मेटकर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में मुर्गी पालन का काम शुरू किया था और आज 55 साल की उम्र में वह रोजाना ₹60000 से अधिक काम लेते हैं। आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी…

3 हजार रुपये से शुरू किया था काम, अब रोजाना कमाते हैं 60 हजार रुपये से अधिक, पढ़ें रविंद्र मेटकर की Success Story

महाराष्ट्र में हुआ जन्म

रविंद्र का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था, यहां छोटे से गांव में पहले बड़े रविंद्र बचपन से ही आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ा। उनके पिता चपरासी थे, इसलिए बहुत ही कम उम्र में उन्होंने अपने घर को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने के लिए काम करना शुरू कर दिया। शुरुआती दिनों में वह केमिस्ट की दुकान में काम करते थे, जहां उन्हें दिन के ₹5 मिलते थे। काम के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी, लेकिन पैसों की कमी के कारण वह कॉलेज पैदल जाया करते थे। वहीं, साल 1984 में अपने पिता से मदद मांगी। तब उनके पिता से प्रोविडेंट फंड से ₹3000 लेकर उन्होंने 100 मुर्गियों के साथ एक पोल्ट्री वेबसाइट की शुरुआत की। साल 1994 तक उनके पास 400 मुर्गियां हो चुकी थी। हालांकि, इस वक्त भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।

ऐसे बढ़ाया बिजनेस

धीरे-धीरे उनका बिजनेस ग्रोथ करने लगा। उन्होंने अमरावती में 1 एकड़ जमीन खरीद कर अपने इस बिजनेस को और बढ़ाया इसके लिए उन्होंने बैंक से 5 लाख रुपए का लोन लिया। साथ ही अपने पास 4000 मुर्गियां लेकर आए। धीरे-धीरे उन्होंने इस फॉर्म का विस्तार किया और यहां वह लगभग 12000 से अधिक मुर्गियों को बना दिया। साल 2006 में भारत में ब्लड फ्लो फैलने से पोल्ट्री उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इस दौरान रविंद्र को 16000 बॉयलर भारी नुकसान पर बेचने पड़े। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और साल 2008 में 25 लाख रुपए कर्ज लेकर 20000 मुर्गियां को खरीदा और अपने इस व्यवसाय को फिर से शुरू किया। आज उनका यह फॉर्म 50 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और उनके पास 1.8 लाख मुर्गियां है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह रोजाना 60000 से अधिक तक की कमाई कर लेते हैं। इतनी बड़ी फॉर्म के मालिक होने के बावजूद वह बहुत ही साधारण जीवन जीते हैं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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