Success Story of Narayan Majumdar : कहते हैं जब सफलता पाना हो, तो सफर को आसान बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। सफलता का मार्ग हमेशा सीधा और सरल नहीं होता, बल्कि इसमें अनेक चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं। लेकिन जब इंसान सच्ची लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है, तो पूरी कायनात भी उसकी मदद करने में लग जाती है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको रेड काउ डेरी (Red Cow Dairy) के CEO नारायण मजूमदार के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे जो कभी दूध बेचकर पढ़ाई का खर्च निकाल करते थे। अब वह करोड़ों के कंपनी के मालिक हैं। बता दें कि उनका यह सफर बहुत ही आसान नहीं रहा है लेकिन इस कहानी से युवाओं को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। तो चलिए आज हम पढ़ते हैं नारायण मजूमदार की दिलचस्प सक्सेस स्टोरी…
नदिया जिले में हुआ जन्म
सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि नारायण मजूमदार का जन्म पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में हुआ था। 25 जून 1958 में किसान परिवार में जन्में नारायण बहुत ही गरीबी से गुजरे हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद साल 1979 में उन्होंने करनाल के NDRI में डेरी टेक्नोलॉजी से बीएससी की पढ़ाई की। उस समय उनके पास फीस देने के लिए 250 रुपए भी नहीं थे, तब उन्होंने फर्स्ट ईयर में पढ़ाई के दौरान दूध बेचने का काम शुरू किया, जहां से उन्हें प्रतिदिन ₹3 मिलते थे। इससे वह जूटा कर कॉलेज की फीस भरा करते थे। एक समय ऐसा आया जब उन्हें पढ़ाई के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन बेचनी पड़ी। इस उतार-चढ़ाव को देखने के बाद मजूमदार ने कोलकाता में क्वालिटी आइसक्रीम में डेरी केमिस्ट के तौर पर नौकरी की। सुबह 5 उठकर ट्रेन से कोलकाता जाते थे और रात 11 बजे घर वापस लौटकर आ पाते थे। हालांकि, इस नौकरी को उन्होंने ज्यादा दिनों तक नहीं किया और 3 महीने में ही जॉब छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने सिलीगुड़ी में हिमालय कोऑपरेटिव कंपनी में नौकरी की, यहां उनकी मुलाकात मदर डेयरी के महाप्रबंधक डॉक्टर जगजीत पुंजार्थ से हुई। उन्होंने मजूमदार को उनके ऑफिस कोलकाता में जॉइनिंग दिलाई, जहां काम करते-करते उन्होंने काफी साल वहां गुजारे।
ऐसे बदली किस्मत
फिर साल 1995 में वह हावड़ा में ही थे, जब वह डेरी प्रोडक्ट में कंसल्टेंट जनरल मैनेजर बन गएय़ इस वक्त उन्होंने देखा कि स्थानीय मर्चेंट दूध उत्पादन करने वाले किसानों से ओने-पौने दाम पर दूध खरीद रहे हैं। वहीं, बिचौलिए किसानों को दूध का कम भुगतान करते थे, जबकि कंपनी को ज्यादा दाम में बेचते थे। इस कारोबार को समझने के लिए वह साइकिल से खुद ही दूध खरीदने निकल जाते थे। उनके इस काम को देखकर एक चिलिंग प्लांट लगाया गया। इस प्लांट ने मजूमदार की जिंदगी बदल कर रख दी। जिसके बाद वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखें। साल 1997 की बात करें तो नारायण मजूमदार ने 10 लाख रुपए पूंजी लगाकर अपना चिलिंग प्लांट लगाया। उसे साल 2003 में उन्होंने ठाकरे डायरी की नौकरी छोड़कर रेड काउ डेरी के नाम से कंपनी की शुरुआत की।
कंपनी का टर्नओवर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेड काउ डेरी कंपनी का कारोबार 800 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है। बता दें कि नारायण तीन प्रोडक्शन फैक्ट्री के मालिक है, जहां 1000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। पश्चिम बंगाल में तीन लाख से ज्यादा किसान इस कंपनी से जुड़े हुए हैं। हाल ही में, कंपनी ने “रेड काउ पॉली पाउच” नामक एक नया उत्पाद लॉन्च किया है, जो लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हो रहा है। हालांकि उनका सफर बहुत ही आसान नहीं रहा है, लेकिन उनकी मेहनत, लगन, और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। सफलता के रास्ते में आने वाली कठिनाइयों का सामना धैर्य और संयम से करना चाहिए। युवाओं को हमेशा नए विचारों के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।