17 रुपये से 8 करोड़ रुपये तक का तय किया सफर, आज दे रहे मल्टीनेशनल कंपनियों को टक्कर, पढ़ें राधा गोविंद की Success Story

आधुनिक युग में यह कारोबार आउटडेटेड होने के कारण पूरी तरह से ठप हो गया था और खाने-पीने तक की दिक्कत होने लगी थी।

Sanjucta Pandit
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Success Story : कहते हैं कुछ करने की चाह हो तो इंसान उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है और उसकी मेहनत रंग भी लाती है। हालांकि, रास्ते में कई बार असफलताओं को भी चखना पड़ता है, लेकिन एक-न-एक दिन उन्हें सफलता जरूर मिलती है। सच्चे मन से मंजिल को पाने की चाह रखने से उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं रह जाता। ऐसी ही एक सक्सेस स्टोरी आज हम आपको राधा गोविंद के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी जिंदगी से हार चुके थे, लेकिन उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ। जिसके कारण उन्होंने अपनी सोच को बदलकर आज करोड़ों का कारोबार खड़ा कर लिया है।

17 रुपये से 8 करोड़ रुपये तक का तय किया सफर, आज दे रहे मल्टीनेशनल कंपनियों को टक्कर, पढ़ें राधा गोविंद की Success Story

‘ओहो ! जयपुर’ के फाउंडर

जिंदगी की शुरुआत यानी राधा गोविंद के बचपन में उनका परिवार को 2 वक्त की रोटी भी नसीब नहीं थी, लेकिन आज उनकी मेहनत की बदौलत मुंबई जैसे महानगर में कई आउटलेट्स खोल रखे हैं। दरअसल, जयपुर में प्रिंटिंग के दम पर उन्होंने इतनी बड़ी सफलता हासिल की है और आज वह ‘ओहो ! जयपुर’ के फाउंडर है। बता दें कि राधा गोविंद का परिवार 500 सालों से पुश्तैनी ब्लॉक प्रिंटिंग का कारोबार करता था जोकि पिंक सिटी से 30 किलोमीटर दूर हैं। उनके दादा, परदादा सभी इसी कारोबार से जुड़े हुए थे, लेकिन समय के साथ चीजें बदलती गई।

इस हद तक देखी गरीबी

आधुनिक युग में यह कारोबार आउटडेटेड होने के कारण पूरी तरह से ठप हो गया था और खाने-पीने तक की दिक्कत होने लगी थी। उस वक्त वह महज 7 से 8 साल के थे, तभी कर्जदार उनके घर उधार मांगने आने लगे। इस हद तक गरीबी आ गई कि उनकी मां को दूसरों से खाना मांगना पड़ता था। इससे उन्हें बहुत ही चोट पहुंचती थी। घर की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। नौबत ये आ गई कि स्कूल में फीस नहीं देने के कारण उनका नाम स्कूल से काट दिया गया था।

17 रुपये में खोली दुकान

इन सबसे परेशान होकर वह घर से भाग गए, लेकिन आगे कोई रास्ता नहीं दिखाई देने पर वह वापस घर लौट आए, जहां उनकी मां बेहोश पड़ी थी। तभी उन्हें बहुत दुख हुआ और इस तरह उन्होंने अपनी किस्मत को बदलने का प्रण लिया। जिसके बाद वह अपनी गुल्लक में जमाए हुए पैसे जोड़कर महज 17 रुपए से एक छोटी सी दुकान खोली, जिसमें वह चॉकलेट, बिस्किट बेचने लगे। हालांकि, इससे भी उनका ज्यादा फायदा नहीं हुआ। तब वह मुंबई चले गए। इस दौरान कुछ रातें उन्होंने स्टेशन पर गुजारी और रास्ते में चल रहे लोगों से नौकरी की भीख मांगी।

लोगों में है डिमांड

इसी तरह धीरे-धीरे दिन-रात मेहनत करके उन्होंने काफी पैसे कमाए और लगभग 50,000 लेकर वापस अपने गांव आए, जहां उन्होंने साल 2015 में गांव के कारीगरों से कपड़े बनवाना शुरू कर दिया। जिसे वह मुंबई ले जाकर बेचते थे। इस कपड़ों की आखैसियत होती थी कि इसे हाथ से बनाया जाता था। इसलिए लोगों द्वारा इसे काफी पसंद किया जाता था। इसके साथ ही वह कपड़े बहुत ही कम रेट में बेचते थे, इससे उनको ज्यादा मुनाफा होने लगा। देखते ही देखते 10 साल के भीतर उन्होंने ओहो जयपुर कंपनी की शुरुआत की। जिसके 4 आउटलेट उन्होंने मुंबई में खोले। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी हालत को समझते हुए जरूरतमंदों को नौकरी पर भी रखा है।

राधा गोविंद की नेट वर्थ

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका सालाना इनकम 8 करोड रुपए से अधिक का है। उनके कपड़ों की मार्केट में काफी ज्यादा डिमांड है। बता दें कि करोड़ों की कंपनी के मालिक होने के बाद भी वह एक सादा जीवन जीते हैं। इसके साथ ही वह गरीबों की मदद भी करते हैं। आज वह बहुत से गरीबों की मदद करते हैं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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